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राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस 2024: इतिहास और महत्व

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देशभर में हर साल 6 अप्रेल को राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस यानी नेशनल लाइब्रेरी डे मनाया जाता है। यह दिन पुस्तकालयों के महत्व को रेखांकित करने के साथ-साथ उन अनगिनत कहानियों, विचारों और ज्ञान के भंडारों का उत्सव भी है, जो पीढ़ियों से इनमें संजोए जा रहे हैं।

लाइब्रेरी केवल किताबों के भंडार ही नहीं हैं, बल्कि कई समुदायों के जीवंत केंद्र हैं, जो सीखने, कल्पनाशीलता को जगाने और विचारों के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने के लिए समावेशी स्थान प्रदान करते हैं।

 

पुस्तकालयों का इतिहास

हजारों सालों से पुस्तकालय ज्ञान के रक्षक और प्रसारक रहे हैं। भारत में प्राचीन काल से ही तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों में विशाल पुस्तकालय विद्यमान थे। भारत के अलावा प्राचीन मिस्र, मेसोपोटामिया और चीन में भी महान पुस्तकालय पाए जाते थे। आधुनिक पुस्तकालय प्रणाली 19वीं शताब्दी में विकसित हुई थी, जो आज पुस्तकालय मुद्रित पुस्तकों, शोधपत्रों, डिजिटल संसाधनों और ऑडियो-विजुअल सामग्री के विशाल संग्रह का गृह हैं। वे मुफ्त या रियायती दरों पर ज्ञान और सूचना तक पहुंच प्रदान करते हैं, जिससे शिक्षा और जीवन भर सीखने का अवसर सभी के लिए उपलब्ध हो सकता है।

 

पुस्तकालयों का महत्व

पुस्तकालय हमारे समाज में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वे पुस्तकों, पत्रिकाओं और अन्य संसाधनों तक पहुंच प्रदान करते हैं जो पाठकों को नई दुनिया से परिचित करा सकते हैं और उन्हें अधिक सूचित नागरिक बनने में मदद कर सकते हैं।

पुस्तकालय भी महान सामुदायिक स्थान हैं जहाँ लोग विचारों का आदान-प्रदान करने और एक साथ सीखने के लिए एकत्रित हो सकते हैं। वे लोगों के लिए जानकारी और ज्ञान तक पहुंचने के लिए महत्वपूर्ण स्थान हैं जो अन्यत्र उपलब्ध नहीं हो सकते हैं।

कुल मिलाकर, राष्ट्रीय पुस्तकालय दिवस उस महत्वपूर्ण भूमिका का जश्न मनाने का समय है जो पुस्तकालय और पुस्तकालयाध्यक्ष हमारे जीवन में निभाते हैं। यह पढ़ने के महत्व की सराहना करने और ज्ञान को सभी के लिए सुलभ बनाने का दिन है।

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