राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस (National Consumer Rights Day) हर साल 24 दिसंबर को मनाया जाता है। इस दिन 1986 में, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 को राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई और इस प्रकार यह लागू हुआ। इस अधिनियम का उद्देश्य उपभोक्ताओं को विभिन्न प्रकार के शोषण, जैसे दोषपूर्ण सामान, सेवाओं में कमी और अनुचित व्यापार प्रथाओं के खिलाफ प्रभावी सुरक्षा उपाय प्रदान करना है।
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भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम उपभोक्ताओं को छह बुनियादी अधिकारों की गारंटी देता है:
- उत्पाद चुनने का अधिकार
- सभी प्रकार के खतरनाक सामानों से सुरक्षा का अधिकार
- सभी उत्पादों के प्रदर्शन और गुणवत्ता के बारे में सूचित होने का अधिकार
- उपभोक्ता हितों से संबंधित सभी निर्णय लेने की प्रक्रियाओं में सुनवाई का अधिकार
- जब भी उपभोक्ता अधिकारों का उल्लंघन किया गया हो, तो निवारण प्राप्त करने का अधिकार
- उपभोक्ता शिक्षा पूर्ण करने का अधिकार
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस:
विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस (World Consumer Rights Day) और राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस के बीच अक्सर लोग भ्रमित हो जाते हैं। जबकि दोनों का उद्देश्य एक ही है, उन्हें अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है। विश्व उपभोक्ता अधिकार दिवस प्रतिवर्ष 15 मार्च को मनाया जाता है।
राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस का इतिहास:
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के तहत पहली बार 1986 में राष्ट्रीय उपभोक्ता अधिकार दिवस मनाया गया। यह विश्व उपभोक्ता दिवस से अलग है, जो हर साल 15 मार्च को मनाया जाता है। उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 में लागू हुआ। 2019 में, उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 को संशोधित किया गया था। बाद में, उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय ने 20 जुलाई, 2020 को लागू होने वाले CPA 2019 बिल की घोषणा की।