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नागालैंड के राज्यपाल ला गणेशन का 80 साल की उम्र में निधन

नगालैंड के राज्यपाल ला गणेशन का 15 अगस्त 2025 की रात चेन्नई के एक निजी अस्पताल में 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। 8 अगस्त को अपने आवास पर अचानक गिरने के बाद उन्हें आईसीयू में भर्ती कराया गया था, लेकिन एक सप्ताह के उपचार के बाद उनका देहांत हो गया। उनका जाना भारतीय सार्वजनिक जीवन और शासन की एक लंबी और सम्मानित यात्रा का अंत है।

राजनीतिक सफर और सार्वजनिक जीवन

तमिलनाडु से उत्तर-पूर्व तक नेतृत्व
ला गणेशन ने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से की, जहां उन्होंने तमिलनाडु में पार्टी के विस्तार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे कुछ समय के लिए मध्य प्रदेश से राज्यसभा सांसद भी रहे, जो उनकी राष्ट्रीय राजनीतिक पहचान को दर्शाता है।

अगस्त 2021 में उन्हें मणिपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया, जहाँ फरवरी 2023 तक उन्होंने कार्य किया। इसके बाद उन्हें नगालैंड राजभवन भेजा गया और उन्होंने राज्य के संवैधानिक प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला। अपने शासनकाल के दौरान उन्होंने उत्तर-पूर्व में शांति, विकास और सांस्कृतिक एकीकरण को बढ़ावा देने में योगदान दिया।

प्रतिक्रियाएँ और श्रद्धांजलि

राष्ट्रीय नेताओं ने शोक व्यक्त किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए ला गणेशन को “एक निष्ठावान राष्ट्रभक्त” और तमिल संस्कृति व राष्ट्र निर्माण में गहराई से जुड़े नेता बताया। उन्होंने गणेशन के आजीवन लोकसेवा और भाजपा के विस्तार में किए गए प्रयासों को स्मरण किया।

उत्तर-पूर्वी नेताओं ने योगदान याद किया
स्थानीय नेताओं ने उन्हें ईमानदारी, बुद्धिमत्ता और नैतिक शक्ति से परिपूर्ण व्यक्ति बताया, जिनकी विनम्रता ने जनता का दिल जीता। नगालैंड के उपमुख्यमंत्री यंथुंगो पैटन ने भी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि गणेशन ने अपने कार्यकाल के दौरान राज्य में सद्भाव स्थापित करने और जनता की आकांक्षाओं को समर्थन देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

विरासत और प्रभाव

मूल्यों और दृष्टि के नेता
ला गणेशन को हमेशा याद किया जाएगा —

  • संवैधानिक मूल्यों और लोकतांत्रिक कर्तव्यों का निष्ठा से पालन करने के लिए।

  • संघर्षग्रस्त उत्तर-पूर्वी राज्यों में क्षेत्रीय सौहार्द को बढ़ावा देने के लिए।

  • ऐसी विकासोन्मुख नीतियों का समर्थन करने के लिए जो स्थानीय आकांक्षाओं से जुड़ी थीं।

नगालैंड में उनका शासन मृदु किंतु दृढ़ दृष्टिकोण से परिभाषित हुआ, जिसने समावेशी विकास और सांस्कृतिक सम्मान को प्रोत्साहित किया — जो नगालैंड जैसे विविध राज्य के लिए अत्यंत आवश्यक है।

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