राजस्थानी फिल्म ‘नानेरा’ (नानाजी का घर) मुख्य किरदार मनीष के इर्द-गिर्द घूमती है। मनीष के पिता की मौत के बाद उसके जीवन का फैसला उसके मामा लेने लगते हैं। कहानी के मुख्य पात्र मनीष की जिंदगी उस वक्त नया मोड़ लेती है, जब वह अपनी रिश्ते की बहन के साथ प्रेम करने लगता है। इसकी वजह से उसका परिवार खुद को मुसीबत में पाता है।
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विज्ञप्ति में कहा गया है कि ‘नानेरा’ को सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ पटकथा, सर्वश्रेष्ठ संपादन का पुरस्कार भी मिला है। विज्ञप्ति के अनुसार, एफआईपीआरईएससीआई भारत के निर्णायक मंडल के सदस्य एन विद्याशंकर ने पुरस्कार की घोषणा की। सर्वश्रेष्ठ फिल्म के पुरस्कार के तहत ‘नानेरा’ को एक ट्रॉफी और एक लाख रुपये नकद दिये गये। फिल्म महोत्सव के आठवें संस्करण का आयोजन 11 से 15 जनवरी तक औरंगाबाद में किया गया।
इसके अलावा, कन्नड़ फिल्म ‘कोली इसरू’ (चिकन करी) की कलाकार अक्षता पांडवपुरा ने सर्वश्रेष्ठ बाल कलाकार और सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार जीता है। यह फिल्म गांव की एक युवा मां के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसमें एक मां अपनी बेटी की चिकन करी खाने की इच्छा को किसी भी तरह पूरा करना चाहती है।
इसी फिल्म महोत्सव में जीतू कमल को बांग्ला फिल्म ‘अपराजितो’ के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का पुरस्कार मिला। फिल्म में कमल ने भारतीय सिनेमा के दिग्गज सत्यजीत रे की भूमिका निभाई है। फिल्म में उन्होंने सत्यजीत रे के निर्देशन में 1955 में बनी पहली फिल्म ‘पाथेर पंचाली’ से लेकर उनके आगे तक के सफर को दिखाया है। इस पांच दिवसीय फिल्म महोत्सव में 55 फिल्में प्रदर्शित की गईं। कोविड महामारी के कारण दो साल के अंतराल के बाद इस कार्यक्रम का आयोजन किया गया।