हैदराबाद के आखिरी और आठवें निजाम नवाब मीर बरकत अली खान वालाशन मुकर्रम जाह बहादुर का निधन हो गया। वे पिछले एक दशक से तुर्की में ही रह रहे थे। उनकी अंतिम इच्छा के मुताबिक उन्हें हैदराबाद में ही सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा। मुकर्रम जाह को उनके दादा और हैदराबाद रियासत के सातवें निजाम मीर उस्मान अली खान ने 1954 में अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था, और तभी से उन्हें हैदराबाद का आठवां और आखिरी निजाम कहा जाता है। मुकर्रम जाह का 14 जनवरी 2023 को तुर्की में निधन हो गया जहां वह कई वर्ष से रह रहे थे।
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तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि निजाम के उत्तराधिकारी के रूप में गरीबों के लिए शिक्षा व चिकित्सा के क्षेत्र में उनकी सामाजिक सेवाओं के लिए सर्वोच्च राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाए।
मुकर्रम जाह के बारे में
मुकर्रम जाह का 1933 में फ्रांस में जन्म हुआ। उनकी मां राजकुमारी दुर्रु शेवार तुर्की (ओटोमन साम्राज्य) के आखिरी सुल्तान अब्दुल मजीद द्वितीय की बेटी थीं। प्रिंस मुकर्रम जाह को आधिकारिक तौर पर 1971 तक हैदराबाद का राजकुमार कहा जाता था, उसके बाद सरकार द्वारा खिताब और प्रिवी पर्स को समाप्त कर दिया गया था। सातवें निजाम ने अपने पहले बेटे प्रिंस आजम जहां बहादुर के बजाय अपने पोते को गद्दी का उत्तराधिकारी बनाया था। साल 1967 में हैदराबाद के अंतिम पूर्व शासक के निधन पर मुकर्रम जाह आठवें निजाम बने थे। जाह भारत से पहले ऑस्ट्रेलिया गए थे, उसके बाद तुर्की में जाकर रहने लगे।
निजाम खानदान की रइसी के चर्चे मशहूर रहे हैं। जब 1947 में देश आजाद हुआ उस समय निजाम को धरती पर सबसे अमीर शख्स माना जाता था। उस समय इस पूरी धरती पर हैदराबाद के शासक मीर ओसमान अली के बराबर पैसा, सोना-चांदी-हीरे-जवाहरात किसी और शासक के पास नहीं थे। साल 1911 में ओसमान अली खान हैदराबाद के सातवें निजाम बने थे। देश जब आजाद हुआ और हैदराबाद को भारत में मिला लिया गया तबतक ओसमान अली खान का ही शासन रहा। निजाम के पास कुल नेट वर्थ 17.47 लाख करोड़ यानी 230 बिलियन डॉलर की आंकी गई थी।