मूडीज़ रेटिंग्स ने 9 सितम्बर 2025 को कहा कि भारत का नवीनतम वस्तु एवं सेवा कर (GST) सुधार घरेलू खपत को बढ़ाएगा और आर्थिक गतिविधियों को समर्थन देगा। हालांकि, एजेंसी ने चेतावनी दी कि यह कदम सरकारी राजस्व को कमजोर कर सकता है और पहले से ही ऊँचे कर्ज बोझ के बीच राजकोषीय एकीकरण (Fiscal Consolidation) की कोशिशों को और जटिल बना सकता है।
क्या बदल रहा है: नया दो-स्लैब जीएसटी ढांचा
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जीएसटी परिषद ने कर प्रणाली को दो मुख्य स्लैब—5% और 18%—में पुनर्गठित करने का निर्णय लिया है, जबकि अत्यधिक विलासिता की वस्तुओं और तंबाकू पर विशेष 40% कर लगाया जाएगा।
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नए जीएसटी दरें 22 सितम्बर 2025 से प्रभावी होंगी।
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तंबाकू उत्पादों पर वर्तमान 28% जीएसटी + सेस व्यवस्था 31 दिसम्बर 2025 तक जारी रहेगी।
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उद्देश्य: कर प्रणाली को सरल बनाना, अनुपालन का बोझ घटाना और उपभोग को सस्ता बनाना।
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मूडीज़ के अनुसार, यह सुधार फरवरी 2025 में घोषित उच्च आयकर छूट सीमा का पूरक है, जिसने मध्यम आय वर्ग के कई लोगों को राहत दी।
महत्व क्यों है: खपत और मुद्रास्फीति पर असर
भारत के जीडीपी का 61% हिस्सा घरेलू खर्च से आता है। जीएसटी सुधार के प्रभाव:
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अधिकांश वस्तुओं व सेवाओं पर प्रभावी जीएसटी दर कम होगी।
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खुदरा कीमतों में कमी से मुद्रास्फीति के दबाव घटेंगे।
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निजी खपत बढ़ेगी, विशेषकर मध्यम और निम्न आय वर्ग में।
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यह कदम सरकार की उस व्यापक रणनीति से मेल खाता है, जिसका उद्देश्य उपभोक्ता मांग बढ़ाकर वैश्विक सुस्ती के बीच अर्थव्यवस्था को गति देना है।
राजकोषीय प्रभाव: राजस्व में गिरावट और घाटे का जोखिम
सकारात्मक खपत प्रभाव के बावजूद, मूडीज़ ने चेताया कि जीएसटी सुधार से सरकार को बड़ा नुकसान होगा:
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अनुमानित राजस्व हानि: ₹48,000 करोड़ (USD 5.4 बिलियन) FY 2025–26 में।
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चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों में सकल कर राजस्व वृद्धि सिर्फ 0.8% रही, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 21.3% थी।
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सरकारी व्यय में 20.2% की वृद्धि, जिससे राजकोषीय घाटा ₹4.7 ट्रिलियन तक बढ़ा (पिछले वर्ष ₹2.8 ट्रिलियन)।
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आँकड़े दिखाते हैं कि राजस्व और व्यय में संतुलन बिगड़ रहा है, जबकि सरकार कर कटौती और कल्याणकारी योजनाओं से घर-परिवारों को राहत देने की कोशिश कर रही है।
भारत का कर्ज बोझ: बढ़ती चिंता
मूडीज़ ने भारत की ऋण वहन-क्षमता (Debt Affordability) को निवेश-योग्य देशों में सबसे कमजोर बताया।
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ब्याज भुगतान सरकार की कुल आय का 23% है।
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जबकि अन्य Baa रेटिंग वाले देशों का औसत मात्र 8.3% है।
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राजस्व घटाने वाली नीतियाँ (जैसे जीएसटी का सरलीकरण) यदि पूरक वित्तीय उपाय नहीं हुए तो कर्ज पर और दबाव डालेंगी।
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मूडीज़ ने यह भी माना कि आने वाले महीनों में सरकार व्यय घटा सकती है ताकि घाटे को नियंत्रित किया जा सके, लेकिन बढ़ती कल्याणकारी अपेक्षाएँ और सीमित कर दायरा इस रास्ते को कठिन बनाते हैं।
परीक्षा हेतु मुख्य बिंदु
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जीएसटी सुधार लागू तिथि: 22 सितम्बर 2025
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संरचना: दो मुख्य स्लैब (5% और 18%) + विशेष 40% (अत्यधिक विलासिता वस्तुएँ)
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अनुमानित राजस्व हानि: ₹48,000 करोड़ (FY 2025–26)
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राजकोषीय घाटा: ₹4.7 ट्रिलियन (पिछले वर्ष ₹2.8 ट्रिलियन)
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ब्याज-से-राजस्व अनुपात: 23% (वैश्विक Baa औसत 8.3% की तुलना में)
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लक्ष्य: खपत बढ़ाना, मुद्रास्फीति कम करना, लेकिन उच्च ऋण जोखिम


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