केंद्रीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस, आवास और शहरी मामलों के मंत्री, हरदीप एस पुरी ने 24 जनवरी को मेथनॉल मिश्रित डीजल (एमडी15) द्वारा संचालित अंतर्देशीय जल पोत के डेमो-रन का उद्घाटन किया। ‘एसबी गंगाधर’ नामक 50-सीटर मोटर लॉन्च समुद्री जहाज पर नौकायान किया गया। यह जहाज रस्टन निर्मित दो डीजल इंजनों (प्रत्येक इंजन 105 अश्व-शक्ति वाला) से लैस है। जहाज एमडी-15 (15 प्रतिशत मिश्रित एचएसडी) से चलता है।
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मेथोनॉल कम कार्बन उत्सर्जन करने वाले हाइड्रोजन ईंधन है, जिसे हाई ऐश कोल, पराली, ताप बिजली संयंत्रों से निकलने वाले सीओ2 तथा प्राकृतिक गैस से तैयार किया जाता है। यह कॉप-21 के प्रति भारत की प्रतिबद्धता के मद्देनजर सबसे अच्छा उपाय है। हालांकि मेथेनॉल, पेट्रोल और डीजल की तुलना में यह शक्ति में थोड़ा कम है, लेकिन वह परिवहन क्षेत्र (सड़क, रेल और समुद्री), ऊर्जा क्षेत्र (डीजी सेट, बॉयलर, प्रोसेस हीटिंग मॉड्यूल, ट्रैक्टर और वाणिज्यिक वाहन शामिल हैं) और खुदरा क्षेत्र में इन दोनों ईंधनों की जगह ले सकता है। साथ ही यह आंशिक रूप से रसोई गैस, मिट्टी के तेल और लकड़ी के कोयले का स्थान भी ले सकता है।
मेथेनॉल क्या है?
मेथेनॉल एक लागत प्रभावी वैकल्पिक ईंधन है। जहाजों में इस्तेमाल होने वाले अन्य ईंधनों की तुलना में यह कम खर्चीला है और तट के किनारे भंडारण तथा बुनियादी ढांचे के विकास के मामले में किफायती है। मेथेनॉल पर चलने वाले जहाजों को बदलने की लागत अन्य वैकल्पिक ईंधन रूपांतरणों की तुलना में काफी कम है। तरल ईंधन के रूप में, मेथेनॉल के रख-रखाव के लिए मौजूदा भंडारण और बुनियादी ढांचे में केवल मामूली संशोधनों की आवश्यकता है।
डीजल-पेट्रोल में 15 प्रतिशत मेथेनॉल के सम्मिश्रण से डीजल-पेट्रोल/कच्चे तेल के आयात में कम से कम 15 प्रतिशत की कमी हो सकती है। इसके अलावा, यह प्रदूषण फैलाने वाले तंतुओं, एनओएक्स और एसओएक्स के संदर्भ में ग्रीन हाउस उत्सर्जन में 20 प्रतिशत की कमी लाएगा, जिससे शहरी वायु गुणवत्ता में सुधार होगा।
भारत ऊर्जा सप्ताह के बारे में:
भारत की जी-20 अध्यक्षता के तहत आईईडब्लू 2023 पहली बड़ी घटना है, जो 2070 तक भारत के उत्सर्जन को शुद्ध-शून्य करने के लिए कॉप-26 में माननीय प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संकल्प का अनुपालन करती है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के तत्त्वावधान में आयोजित, भारत ऊर्जा सप्ताह एकमात्र और सभी सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) की भागीदारी के साथ, भारत सरकार के उच्चतम स्तर पर समर्थित अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा कार्यक्रम है। इसे आधिकारिक तौर पर फेडरेशन ऑफ इंडियन पेट्रोलियम इंडस्ट्री (फीपी) का समर्थन भी हासिल है।