सरकार ने आईडीबीआई बैंक में कुल 60.72 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर बैंक का निजीकरण करने के लिए संभावित निवेशकों से बोलियां आमंत्रित कीं। सरकार एलआईसी के साथ मिलकर इस वित्तीय संस्थान में यह हिस्सेदारी बेचेगी। इसके लिए बोलियां जमा करने या अभिरुचि पत्र (ईओआई) जमा करने की अंतिम तिथि 16 दिसंबर, 2022 तय की गई है।
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पहले चरण में पात्रता मानदंडों को पूरा करने वाले बोलीदाताओं को भारतीय रिजर्व बैंक से ‘फिट और उचित’ असेसमेंट की मंजूरी की जरूरत होगी। इसके अलावा उन्हें गृह मंत्रालय द्वारा सुरक्षा मंजूरी भी चाहिए होगी। पहले चरण को पूरा करने के बाद योग्य बोलीदाताओं को एक गोपनीय प्रक्रिया के तहत चरण दो में प्रवेश करने की अनुमति दी जाएगी, जहां वित्तीय बोलियां मांगी जाएंगी।
निवेश और सार्वजनिक संपत्ति प्रबंधन विभाग (DIPAM) जो ऐसे लेन-देन की प्रक्रिया और इच्छुक बोलीदाताओं के लिए मानदंड की रूपरेखा तैयार करता है, द्वारा जारी प्रारंभिक सूचना के अनुसार LIC बैंक में अपनी 49.24% हिस्सेदारी में से 30.24 प्रतिशत को कम करेगी, जबकि सरकार अपनी 45.48% हिस्सेदारी में से 30.48 फीसदी को कम करेगी। संभावित दावेदारों को बोली लगाने के लिए 16 दिसंबर की समय सीमा दी गई है।
आईडीबीआई बैंक मई 2017 से मार्च 2021 तक भारतीय रिजर्व बैंक के पीसीए ढांचे के तहत था। बैंक के ढांचे से बाहर निकलने के दो महीने बाद आर्थिक मामलों की कैबिनेट समिति ने इसके विनिवेश की सैद्धांतिक मंजूरी दे दी। आईडीबीआई बैंक की बिक्री अगर यह इस वित्तीय वर्ष में पूरी होती है तो यह वित्त वर्ष 23 के लिए निर्धारित विनिवेश लक्ष्य 65,000 करोड़ में एक अहम योगदान होगा। सरकार पहले ही 24,544 करोड़ रुपये जुटा चुकी है, जिसमें से अधिकांश मई में देश की सबसे बड़ी बीमा कंपनी एलआईसी की लिस्टिंग से हासिल हुआ है।
हाल के दिनों में बैंकों के सामने बैड लोन की समस्या काफी बढ़ गई है। यह समस्या केवल निजी बैंकों के सामने नहीं है, बल्कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक भी इसी समस्या का सामना कर रहे हैं। बैड लोन बढ़ने के साथ देनदारियां भी बढ़ी हैं। लेकिन इस समस्या का कोई ठोस समाधान निकलता नहीं दिखाई दे रहा।