झारखंड सरकार की कैबिनेट ने राज्य में पदों व सेवाओं की रिक्तियों में आरक्षण अधिनियम 2001 में संशोधन का फैसला लिया। राज्य की सेवाओं में कुल आरक्षण सीमा अब 50 प्रतिशत से बढ़कर 77 प्रतिशत होगी। इस बैठक में कैबिनेट ने ओबीसी, एससी और एसटी के आरक्षण को बढ़ाने संबंधी विधेयक के प्रस्ताव को मंजूरी दी है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की अध्यक्षता में राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में ओबीसी आरक्षण को मौजूदा 14 प्रतिशत से बढ़ाकर 27 प्रतिशत कर दिया गया। साथ ही एसी एवं एसटी वर्ग के आरक्षण में दो-दो प्रतिशत की वृद्धि करने का फैसला किया।
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झारखंड में आरक्षण से संबंधित प्रमुख बिंदु
- सरकार के फैसले पर अमल होने के साथ राज्य में ओबीसी, अनुसूचित जाति (एससी) और अनुसूचित जनजाति (एसटी) का कुल आरक्षण 77 प्रतिशत हो जाएगा।
- हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने प्रदेश में स्थानीय निवासियों के निर्धारण के लिए 1932 के खतियान (भूमि रिकॉर्ड) को आधार बनाने के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे दी है।
- प्रस्तावित नौकरी आरक्षण नीति में, अनुसूचित जातियों के लिए राज्य की नौकरियों में आरक्षण 10 प्रतिशत से बढ़ाकर 12 प्रतिशत, अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षण 26 प्रतिशत से बढ़ाकर 28 प्रतिशत, अत्यंत पिछड़ों के लिए 14 से बढ़ाकर 15 प्रतिशत और पिछड़े वर्गों के लिए 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत करने की व्यवस्था होगी।
- मंत्रिमंडल ने इस प्रस्तावित विधेयक के माध्यम से राज्य में आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए भी दस प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था करने का फैसला किया।
- पिछले वर्गों में अत्यंत पिछड़ों के लिए 15 प्रतिशत और पिछड़ों के लिए 12 प्रतिशत आरक्षण की व्यवस्था किये जाने का निर्णय लिया गया है।