वैश्विक डिजिटल फाइनेंस की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए जापान ने 27 अक्टूबर 2025 को ‘JPYC’ नामक दुनिया का पहला येन-पेग्ड स्टेबलकॉइन आधिकारिक रूप से लॉन्च कर दिया है। यह कदम जापान की पारंपरिक नकद और क्रेडिट कार्ड-आधारित अर्थव्यवस्था से डिजिटल वित्तीय पारिस्थितिकी की ओर एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है।
इस डिजिटल टोकन को टोक्यो स्थित स्टार्टअप JPYC Inc. द्वारा जारी किया गया है, जो जापानी येन और सरकारी बॉन्ड (JGBs) द्वारा पूरी तरह समर्थित है। लॉन्च फेज में इसके लेनदेन पर शून्य शुल्क (Zero Transaction Fee) रखा गया है।
JPYC क्या है?
JPYC एक ब्लॉकचेन-आधारित स्टेबलकॉइन है, यानी ऐसा डिजिटल टोकन जो 1 जापानी येन = 1 JPYC की स्थिर दर बनाए रखने के लिए डिज़ाइन किया गया है।
- यह घरेलू बचत और जापानी सरकारी प्रतिभूतियों द्वारा समर्थित है, जिससे इसे स्थिरता और सरकारी विश्वसनीयता प्राप्त होती है।
- कंपनी अगले तीन वर्षों में 10 ट्रिलियन येन (लगभग 66 अरब डॉलर) मूल्य तक के टोकन जारी करने की योजना बना रही है।
- JPYC का लक्ष्य इसे अंतरराष्ट्रीय भुगतान और स्टार्टअप्स के लिए सस्ता, तेज़ और सुरक्षित डिजिटल माध्यम बनाना है।
यह क्यों महत्वपूर्ण है?
वैश्विक डिजिटल वित्तीय प्रणाली में अमेरिकी डॉलर-आधारित स्टेबलकॉइन्स (जैसे USDT, USDC) का दबदबा रहा है, जो करीब 99% बाजार हिस्सेदारी रखते हैं।
JPYC का लॉन्च इस एकाधिकार को चुनौती देता है और दर्शाता है कि जापान भी वैश्विक क्रिप्टो-फिनटेक इकोसिस्टम में अपना स्थान मजबूत करना चाहता है।
JPYC Inc. के CEO नोरिताका ओकाबे के अनुसार, यह स्टेबलकॉइन निम्नलिखित लाभ प्रदान करेगा —
- स्टार्टअप्स के लिए कम ट्रांजैक्शन और सेटलमेंट लागत
- भविष्य में ग्लोबल पार्टनरशिप्स के माध्यम से इंटरऑपरेबिलिटी
- बिना किसी प्रारंभिक शुल्क के आर्थिक उपयोगिता, जबकि लाभ सरकारी बॉन्ड (JGBs) पर अर्जित ब्याज से आएगा
नीतिगत और नियामक दृष्टिकोण
हालांकि यह लॉन्च एक बड़ा नवाचार है, लेकिन जापान की केंद्रीय बैंक (Bank of Japan – BOJ) अभी भी सतर्क है। BOJ ने स्टेबलकॉइन्स के संबंध में कुछ संभावित जोखिमों की ओर इशारा किया है, जैसे —
- वाणिज्यिक बैंकों की पारंपरिक भुगतान प्रणाली में भूमिका कम होना
- अनियंत्रित फंड ट्रांसफर की संभावनाएं
BOJ के डिप्टी गवर्नर रियोजो हिमिनो ने कहा कि स्टेबलकॉइन्स भविष्य में आंशिक रूप से बैंक जमा का स्थान ले सकते हैं, इसलिए वैश्विक नियामकों को इसके लिए तैयार रहना चाहिए।
वहीं, रिक्क्यो यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर और पूर्व BOJ अधिकारी टोमायुकी शिमोदा का मानना है कि अमेरिकी डॉलर आधारित कॉइन्स की तुलना में येन-आधारित कॉइन्स की घरेलू लोकप्रियता बढ़ने में समय लग सकता है।
हालांकि, अगर जापान के तीन मेगाबैंक (जैसा कि Nikkei ने रिपोर्ट किया है) इस मार्केट में प्रवेश करते हैं, तो अगले 2–3 वर्षों में इसका उपयोग तेजी से बढ़ सकता है।
जापान का डिजिटल करेंसी परिदृश्य
JPYC का लॉन्च 2024 में नए येन बैंकनोट्स के जारी होने के बाद आया है, जो दर्शाता है कि जापान एक साथ पारंपरिक और डिजिटल मुद्रा दोनों पर ध्यान दे रहा है।
वहीं, अन्य एशियाई देश भी पीछे नहीं हैं —
- दक्षिण कोरिया जल्द ही वॉन-आधारित स्टेबलकॉइन लॉन्च करने की तैयारी में है।
- चीन भी युआन-आधारित डिजिटल टोकन पर काम कर रहा है।
यह सब एशिया में डिजिटल करेंसी लीडरशिप की दौड़ को दर्शाता है, जहां स्टेबलकॉइन्स को मौद्रिक नवाचार और आर्थिक कूटनीति के उपकरण के रूप में देखा जा रहा है।


रूस को अफ्रीका में मिला पहला नौसेना बेस ...
भारत 2025-29 के कार्यकाल के लिए यूनेस्को...
भारत ने सबसे अधिक वोट के साथ एक बार फिर ...

