भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने कहा कि उन्होंने अपनी आत्मकथा को प्रकाशित नहीं करने का निर्णय लिया है। इसरो प्रमुख की आत्मकथा में उनके पूर्ववर्ती के. सिवन के बारे में कुछ आलोचनात्मक टिप्पणियां किए जाने को लेकर उपजे विवाद के बाद सोमनाथ का यह बयान आया है। सोमनाथ ने कहा कि उन्होंने अंतरिक्ष एजेंसी में अपनी दशकों लंबी यात्रा के दौरान सामना की गई कुछ चुनौतियों का उल्लेख करने वाली अपनी आत्मकथा ‘निलावु कुदिचा सिम्हंगल’ को प्रकाशित नहीं करने का फैसला किया है।
इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने शनिवार को कहा कि वह अपनी आगामी आत्मकथा के प्रकाशन से हट रहे हैं। उन्होंने कहा, के सिवन के बारे में उनकी कुछ कथित आलोचनात्मक टिप्पणियों पर विवाद खड़ा होने के बाद ऑटोबायोग्राफी का प्रकाशन न कराने का फैसला लिया गया। सोमनाथ ने पुष्टि की कि उन्होंने विवाद के आलोक में ‘निलावु कुदिचा सिम्हंगल’ (जिसका अनुवाद – लायंस दैट ड्रिंक द मूनलाइट) पुस्तक का प्रकाशन वापस लेने का फैसला किया है।
संगठन के शीर्ष तक पहुंचने में कई चुनौतियां
सोमनाथ की आत्मकथा के बारे में समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने कहा कि किसी संगठन में शीर्ष पद तक पहुंचने की यात्रा के दौरान प्रत्येक व्यक्ति को कुछ चुनौतियों से गुजरना होता है। सोमनाथ उस रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें दावा किया गया था कि उनकी आत्मकथा में उनसे पहले इसरो चीफ रहे के सिवन के बारे में कुछ आलोचनात्मक टिप्पणियां हैं।
आत्मकथा का मकसद आलोचना नहीं
सोमनाथ ने स्वीकार किया कि आत्मकथा में चंद्रयान-2 मिशन की विफलता की घोषणा के संबंध में स्पष्टता की कमी का उल्लेख किया है। इसरो अध्यक्ष ने दोहराया कि उनकी आत्मकथा उन लोगों को प्रेरित करने का एक प्रयास है जो जीवन में चुनौतियों और बाधाओं से लड़कर कुछ हासिल करना चाहते हैं, न कि किसी की आलोचना करना चाहते हैं।
चंद्रयान-2 मिशन
गौरतलब है कि चंद्रयान-2 मिशन को 22 जुलाई 2019 को श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (एसडीएससी) से लॉन्च किया गया था। इसे ‘बाहुबली’ नाम के सबसे ताकतवर और विशाल राकेट जीएसएलवी-मार्क ।।। के जरिए प्रक्षेपित किया गया था, लेकिन यह मिशन फेल हो गया था क्योंकि लैंडर चांद की सतह पर सही से लैंड नहीं हो सका।
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