हर साल 11 अक्टूबर को अंतराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया जाता है। इस दिन को मनाने के पीछे बेटियों के महत्व को समझाना है। अंतराष्ट्रीय बालिका दिवस का मुख्य उद्देश्य महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करना है। इसके अलावा बालिका दिवस के मौके पर महिलाओं के सामने आने वाली चुनौतियों और उनके अधिकारों के संरक्षण के बारे में जागरूकता पैदा करना है।
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यह दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लिंग-आधारित चुनौतियों को समाप्त करता है। जिसका सामना दुनिया भर में लड़कियां करती हैं, जिसमें बाल विवाह, उनके प्रति भेदभाव और हिंसा शामिल है। यह दिन पूरी दुनिया में लड़कियों के महत्व, शक्ति और क्षमता का जश्न मनाता है। यह दिन लड़कियों की आवश्यकताओं और उनके सामने आने वाली समस्याओं पर भी प्रकाश डालता है।
क्या है इस वर्ष की थीम?
इस वर्ष अंतराष्ट्रीय बालिका दिवस की थीम ‘Our time is now—our rights, our future’ है। यह थीम खासतौर पर मौजूदा परिस्थितियों जैसे कोविड-19 महामारी, जलवायु परिवर्तन और मानवीय संघर्ष के बीच महिलाओं की स्थिति को ध्यान में रखते हुए तय किया गया है।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का उद्देश्य
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस को मनाने का उद्देश्य बेटियों को जागरूक करना है। अपने अधिकारों के लिए, अपनी सुरक्षा और बराबरी के लिए, जिससे वो आने वाली सभी चुनौतियों और परेशानियों का हिम्मत के साथ डटकर मुकाबला कर पाएं। बालिका दिवस का दिन इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह लिंग-आधारित चुनौतियों को समाप्त करता है। बता दें कि दुनिया भर में लड़कियां लिंग से जुड़ी परेशानियों का सामना करती हैं, जिसमें बाल विवाह, उनके प्रति भेदभाव और हिंसा शामिल है।
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस का इतिहास
अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस मनाने की शुरुआत एक एनजीओ यानी गैर सरकारी संगठन ‘प्लान इंटरनेशनल’ के प्रोजेक्ट के रूप में की गई थी। इस संगठन ने “क्योंकि मैं एक लड़की हूं” नाम से एक अभियान की भी शुरुआत की थी। इस अभियान के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तार के लिए कनाडा सरकार से संपर्क किया गया। कनाडा सरकार ने 55वें आम सभा में इस प्रस्ताव को रखा और 19 दिसंबर, 2011 को संयुक्त राष्ट्र ने इस प्रस्ताव को पारित किया। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस के लिए 11 अक्टूबर की तारीख तय की गई और 2012 से हर साल यह मनाया जाने लगा।