संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर साल 30 अगस्त को विश्व स्तर पर International Day of the Victims of Enforced Disappearances यानि जबर्दस्ती गुम किए गए पीड़ितों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस मनाया जाता है। यह दिन गिरफ्तारी, नजरबंद और अपहरण की घटनाओं सहित दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों में जबरदस्ती या बिना मर्जी के गायब किए जाने वाले लोगों के बारे में गंभीर चिंता व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। उपरोक्त सभी घटनाओं के परिणामस्वरूप उत्पीड़न से संबंधित रिपोर्ट की संख्या बढ़ जाती है, जिनमे गायब होने वाले या जिनके परिवारों को उत्पीड़न, दुर्व्यवहार सहना पड़ा हो या जिन्हें धमकाया गया हो आदि से संबंधित हैं।
यह दिवस लोगों को लापता होने से रोकने के लिए और जिम्मेदार लोगों को न्याय देने के लिए मनाया जाता है। हम सब जानते है कि लापता होना यानी समाज के भीतर आतंक फैलाने की साजिश करने के रूप में उपयोग किया जाता है। इस वजह से इस दिन को मनाकर इस विषय पर जागरूकता लायी जाती है। जबरदस्ती गुम हो रहे लोगों के इस प्रथा से जो असुरक्षा की भावना उत्पन्न होती है वह केवल सीमित पीड़ित के करीबी या रिश्तेदारों तक सिमित नहीं है बल्कि इससे पूरा समाज प्रभावित है।
इतिहास
संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा 30 अगस्त को जबर्दस्ती गुम किए गए पीड़ितों का अंतर्राष्ट्रीय दिवस के रूप में घोषित किया गया था और इसे पहली बार वर्ष 2011 में मनाया गया था।


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