हर साल, 23 सितंबर को अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस (International Day of Sign Languages) के रूप में मनाया जाता है। 23 सितंबर के दिन पुरे देश में विश्व स्तर पर अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाया जाता है। दुनिया भर में ऐसे कई लोग है, जो बोल या सुन नहीं सकते है। वह अपनी बात करने के लिए अपने हाथों से चेहरे के हाव-भाव से बात करते है। इस भाषा को सांकेतिक भाषा (Sign Language) कहा जाता है।
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हर साल सांकेतिक भाषा दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को साइन लैंग्वेज के बारे में जागरूकता बढ़ाना और सांकेतिक भाषा को मजबूत बनाना है। इसलिए सितंबर का अंतिम पूरा सप्ताह अंतरराष्ट्रीय बधिरता सप्ताह (International Week of the Deaf) के रूप में मनाया जाता है। यह दिवस 2018 से मनाया जा रहा है। इस दिवस का मुख्य काम लोगों के बीच संकेतिक भाषा के प्रति जागरूक करना है।
इंटरनेशनल डे ऑफ साइन लैंग्वेज: थीम
हर साल एक नई थीम या विचार के साथ इंटरनेशनल डे ऑफ साइनल लैंग्वेज डे मनाया जाता है। इस साल भी नई थीम के साथ साइन लैंग्वेज डे सेलिब्रेट किया जा रहा है। इस साल की थीम है ‘सांकेतिक भाषाएं हमें एकजुट करती है।
अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस का इतिहास:
साल 1951 में 23 सितंबर को विश्व फेडरेशन ऑफ डेफ (World Federation of the Deaf) की याद में स्थापना की गई थी, जो जो बधिर लोगों के 135 राष्ट्रीय संघों का एक संघ है, जो विश्भवर में लगभग 70 मिलियन बधिर लोगों के मानवाधिकारों को बढ़ावा देने काम करता है। बधिरों का अंतर्राष्ट्रीय सप्ताह पहली बार सितंबर 1958 में मनाया गया था और तब से यह बधिर एकता के एक वैश्विक आंदोलन के रूप में विकसित हो गया है। अंतर्राष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस पहली बार साल 2018 में अंतरराष्ट्रीय बधिरता सप्ताह के भाग के रूप में मनाया गया। यह दिवस मनाने का उद्देश्य बधिर लोगों को उनके जीवन में आने वाले रोजमर्रा के विषयों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है।
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण तथ्य:
- बधिरों के विश्व संघ के अध्यक्ष: जोसेफ जे. मरे।
- बधिरों का विश्व संघ स्थापित: 23 सितंबर 1951, रोम, इटली।
- बधिर मुख्यालय का विश्व संघ स्थान: हेलसिंकी, फ़िनलैंड।