समाज में सहिष्णुता को बढ़ावा देने और जन-जन में जागरूकता फैलाने के लिए हर वर्ष 16 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस के रूप में मनाया जाता है। अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस का उद्देश्य संसार में हिंसा की भावना और नकारात्मकता को खत्म कर अहिंसा को बढ़ावा देना है। अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस की घोषणा वर्ष 1996 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के द्वारा की गई थी।
अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस का उद्देश्य
अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस का उद्देश्य दुनिया में बढ़ते अत्याचार, हिंसा और अन्याय को रोकने और लोगों को सहनशीलता और सहिष्णुता के प्रति जागरूक करना है।
अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस आखिर क्यों जरूरी है?
आजकल समाज में बढ़ती भेदभाव और हिंसा की भावना के दुष्परिणामों या भयानक नुकसान के बारे में लोगों को जागरूक करने और समाज में व्यक्ति के नैतिक कर्तव्यों को याद दिलाने के लिए अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस मनाया जाना बेहद जरूरी है। अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस सभी धर्मों और अलग-अलग संस्कृतियों को एक होने की प्रेरणा देता है। इसीलिए समाज के प्रत्येक व्यक्ति को अपने आसपास सहिष्णुता की भावना फैलाने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस का इतिहास
महात्मा गांधी की 125 वीं जयंती के अवसर पर वर्ष 1995 को संयुक्त राष्ट्रीय महासभा के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता वर्ष घोषित किया गया था। इस वर्ष दुनिया में अहिंसा और सहिष्णुता को बढ़ावा देने और जागरूकता फैलाने के लिए “यूनेस्को मदनजीत सिंह पुरुस्कार” की भी स्थापना की गई थी। इसके बाद वर्ष 1996 में 16 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस के रूप में मनाने की घोषणा संयुक्त राष्ट्रीय महासभा द्वारा की गई।
सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण बातें:
- यूनेस्को मुख्यालय: पेरिस, फ्रांस;
- यूनेस्को की स्थापना: 16 नवंबर 1945, लंदन, यूनाइटेड किंगडम;
- यूनेस्को प्रमुख: ऑड्रे अज़ोले; (महानिदेशक)।