आईएनएस विक्रांत को उसकी पुरानी घंटी वापस मिल गई है। दरअसल, पुराने आईएनएस विक्रांत पर लगाई गई घंटी अब देश के नवीनतम और पहले ‘मेड-इन-इंडिया’ विमान वाहक पोत नए आईएनएस विक्रांत पर लगाई गई है। पुराना आईएनएस विक्रांत जो 1961 से अगले 36 वर्षों तक भारतीय नौसेना का हिस्सा थी की जगह पर नए आईएनएस विक्रांत को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से कमीशन किया गया था।
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बता दें कि भारत ने 1961 में ब्रिटिश मूल का विमानवाहक पोत एचएमएस हरक्यूलिस खरीदा था और इसे भारतीय नाम आईएनएस विक्रांत दिया था। नेवी के अधिकारियों ने का, ‘घंटी पहले आईएनएस विक्रांत पर थी, जिसने सेवा मुक्त होने से पहले 1997 तक सेवा दी थी। बाद में वहां से घंटी मोतीलाल नेहरू मार्ग स्थित भारतीय नौसेना के उप प्रमुख 5, मोतीलाल नेहरू मार्ग पर रखा गया गया था।
घंटे का ये है काम
रिपोर्ट के अनुसार पारंपरिक रूप से घंटियों का युद्धपोतों पर युद्ध के दौरान और नाविकों की ओर से विभिन्न कर्तव्यों का पालन सुनिश्चित करने में अहम योगदान रहता है। वे नाविकों को कर्तव्य का निर्वहन के करने के साथ-साथ आपात स्थिति में भी मदद पहुंचाते हैं।
घंटा एक गौरवशाली इतिहास का हिस्सा
पुराने आईएनएस विक्रांत पर लगा ये पारंपरिक घंटा एक गौरवशाली इतिहास का हिस्सा रही है, क्योंकि यह 1971 की पाकिस्तान से लड़ाई में युद्धपोत पर लगा हुआ था। आईएनएस ने उस समय बमबारी करके कराची बंदरगाह को अवरुद्ध कर दिया था। आईएनएस विक्रांत ने पाकिस्तान के खिलाफ लड़े गई जंगों में सक्रिय भूमिका निभाई है। इसे देश की सुरक्षा करने के लिए प्रमुख स्थानों पर तैनात किया गया था।