इंदिरा गांधी की 108वीं जयंती, जिसे 19 नवंबर 2025 को मनाया गया, भारत की प्रथम और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री के जीवन और योगदान को याद करने का अवसर है। अपने साहसिक निर्णयों और सशक्त नेतृत्व के लिए प्रसिद्ध इंदिरा गांधी ने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। 19 नवंबर 1917 को जन्मी इंदिरा गांधी आज भी अपने दूरदर्शी नेतृत्व, दृढ़ संकल्प और राष्ट्रहित में किए गए निर्णयों के लिए करोड़ों लोगों की प्रेरणा बनी हुई हैं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भारत की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को उनकी 108वीं जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि अर्पित की। प्रधानमंत्री ने एक्स पर एक संदेश पोस्ट करते हुए कहा, “पूर्व PM श्रीमती इंदिरा गांधी जी को उनकी जयंती के अवसर पर श्रद्धांजलि।”
इंदिरा गांधी का प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
इंदिरा गांधी का जन्म इलाहाबाद में हुआ था। उनके पिता जवाहरलाल नेहरू भारत के पहले प्रधानमंत्री थे और उनकी माता कमला नेहरू स्वतंत्रता संग्राम की प्रमुख कार्यकर्ता थीं। राजनीतिक माहौल और स्वतंत्रता आंदोलन से घिरे परिवार में पली-बढ़ी इंदिरा ने छोटी उम्र से ही जनसेवा और राष्ट्रीय कर्तव्य की सीख पाई।
उन्होंने कई विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त की — दिल्ली का मॉडर्न स्कूल, इलाहाबाद के सेंट सेसिलिया और सेंट मैरीज़ कॉन्वेंट, स्विट्ज़रलैंड के स्कूल, और फिर शांतिनिकेतन, जहाँ गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें प्यार से ‘प्रियदर्शिनी’ नाम दिया। बाद में उन्होंने ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भी अध्ययन किया, हालांकि अपनी डिग्री पूरी नहीं कर सकीं।
साल 1942 में उन्होंने फिरोज़ गांधी से विवाह किया। इस दंपत्ति के दो पुत्र हुए — राजीव गांधी और संजय गांधी।
उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत
इंदिरा गांधी का सक्रिय राजनीतिक सफ़र 1950 के दशक में शुरू हुआ, जब वे अनौपचारिक रूप से अपने पिता जवाहरलाल नेहरू का सहयोग करने लगीं। 1955 में वे कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य बनीं और 1959 में कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गईं।
1964 में नेहरू के निधन के बाद वे लाल बहादुर शास्त्री की सरकार में सूचना एवं प्रसारण मंत्री बनीं, जहाँ उनके कार्यों की व्यापक सराहना हुई।
प्रधानमंत्री बनने का सफ़र
1966 में लाल बहादुर शास्त्री के आकस्मिक निधन के बाद कांग्रेस पार्टी ने इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री चुना। उस समय कई नेताओं को लगा कि वे एक “कमज़ोर” उम्मीदवार होंगी, लेकिन उन्होंने अपने दृढ़, निडर और निर्णायक नेतृत्व से यह साबित कर दिया कि वे देश को दिशा देने में सक्षम हैं।
वे 1966 से 1977 तक और फिर 1980 से 1984 तक भारत की प्रधानमंत्री रहीं। इस प्रकार वे जवाहरलाल नेहरू के बाद भारत की दूसरी सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाली प्रधानमंत्री बनीं।
प्रधानमंत्री के रूप में उनके प्रमुख योगदान
इंदिरा गांधी ने अपने कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण नीतियाँ शुरू कीं। उनके मुख्य योगदान इस प्रकार हैं:
हरित क्रांति (Green Revolution): उन्होंने किसानों को नई खेती तकनीकों, बेहतर बीजों और सिंचाई सुविधाओं का समर्थन दिया। इससे देश में खाद्यान्न उत्पादन बहुत बढ़ा और भूख की समस्या काफी कम हुई।
1971 का युद्ध और बांग्लादेश का निर्माण: उनके नेतृत्व में भारत ने 1971 के भारत–पाक युद्ध में विजय प्राप्त की, जिसके परिणामस्वरूप बांग्लादेश एक नया देश बना। इस जीत ने इंदिरा गांधी को बेहद लोकप्रिय बना दिया।
गरीबी हटाओ कार्यक्रम: उनका नारा “गरीबी हटाओ” गरीब और वंचित लोगों के कल्याण के लिए उनके समर्पण को दर्शाता है। उन्होंने अनेक सामाजिक योजनाएँ शुरू कीं ताकि गरीबों की जीवन स्थितियों में सुधार हो सके।
इंदिरा गांधी की हत्या
1984 में पंजाब में उग्रवाद बढ़ गया था और कुछ उग्रवादी अमृतसर के स्वर्ण मंदिर परिसर में छिपे हुए थे। स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए इंदिरा गांधी ने सेना को मंदिर से उग्रवादियों को हटाने के आदेश दिए। इस कार्रवाई से कई सिख भावनाएँ आहत हुईं।
31 अक्टूबर 1984 को इंदिरा गांधी की उनके दो सुरक्षा कर्मियों ने हत्या कर दी, जिन्होंने स्वर्ण मंदिर अभियान का बदला लेने के लिए यह कदम उठाया।
इंदिरा गांधी की विरासत
अपनी जन्मशती के 108 वर्षों बाद भी, इंदिरा गांधी को एक निडर, प्रभावशाली और दृढ़ नेता के रूप में याद किया जाता है। उनके फैसले—चाहे प्रशंसित हों या आलोचना के पात्र—भारत की राजनीति, समाज और विकास की दिशा तय करने में अत्यंत महत्वपूर्ण रहे।
उनका जीवन आज भी साहस, दृढ़ संकल्प और राष्ट्र के प्रति समर्पण का प्रेरणादायक प्रतीक माना जाता है।


अंतरराष्ट्रीय चीता दिवस 2025: भारत में च...
भारतीय नौसेना दिवस 2025: समुद्री ताकत और...
अंतर्राष्ट्रीय बैंक दिवस 2025: इतिहास और...

