भारत 2047 तक एक उच्च आय वाले राष्ट्र बनने की राह पर है, जहां इसकी जीडीपी (GDP) 23 ट्रिलियन डॉलर से 35 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने की संभावना है। बेन एंड कंपनी और नैसकॉम की एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, सेवा क्षेत्र (60% योगदान) और विनिर्माण क्षेत्र (32% योगदान) भारत की आर्थिक वृद्धि में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। इस परिवर्तन को गति देने में प्रौद्योगिकी, कार्यबल विस्तार और प्रमुख क्षेत्रों में रणनीतिक निवेश अहम साबित होंगे।
कैसे भारत का कार्यबल आर्थिक विकास को आकार देगा?
आने वाले दो दशकों में भारत की कार्यबल संख्या 200 मिलियन तक बढ़ने की उम्मीद है, जिससे रोजगार सृजन और आर्थिक विस्तार को बल मिलेगा। हालांकि, रिपोर्ट में 2030 तक 50 मिलियन कुशल कार्यबल की संभावित कमी की चेतावनी दी गई है, यदि कौशल विकास और STEM शिक्षा (विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित) को प्राथमिकता नहीं दी गई। इस अंतर को पाटने के लिए, सरकार और निजी क्षेत्र को व्यावसायिक प्रशिक्षण, डिजिटल साक्षरता और उद्योग-विशिष्ट कौशल विकास पर ध्यान देना होगा, ताकि भारत वैश्विक नौकरी बाजार में प्रतिस्पर्धी बना रहे।
प्रौद्योगिकी और विनिर्माण की क्या भूमिका होगी?
एआई, टचलेस मैन्युफैक्चरिंग और चिप डिजाइन जैसी तकनीकी प्रगति भारत के भविष्य की कुंजी होंगी। रिपोर्ट में उल्लेख किया गया है कि विनिर्माण क्षेत्र का निर्यात योगदान 24% से बढ़कर 2047 तक 45%-50% हो सकता है, जबकि जीडीपी में योगदान 3% से बढ़कर 8%-10% होने की उम्मीद है। इसके अलावा, नवीकरणीय ऊर्जा का कुल ऊर्जा उत्पादन में हिस्सा 2023 में 24% से बढ़कर 2047 तक 70% तक पहुंच सकता है।
किन क्षेत्रों से भारत की उच्च आय स्थिति को बढ़ावा मिलेगा?
रिपोर्ट में पांच प्रमुख उद्योगों को भारत की रणनीतिक वृद्धि के मुख्य चालक के रूप में पहचाना गया है:
- इलेक्ट्रॉनिक्स
- ऊर्जा
- रसायन उद्योग
- ऑटोमोटिव
- सेवा क्षेत्र
विशेष रूप से, ऑटो-कंपोनेंट निर्यात क्षेत्र के 2047 तक $200-250 बिलियन तक पहुंचने की उम्मीद है, जो इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) की ओर बदलाव से प्रेरित होगा। इसके अलावा, आईटी, वित्त और स्वास्थ्य सेवा सेवा क्षेत्र की रीढ़ बने रहेंगे। भारत को इस क्षमता को अधिकतम करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी को मजबूत करने, सेक्टर-विशिष्ट निवेश रोडमैप तैयार करने और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर निर्भरता कम करने की आवश्यकता होगी।
चुनौतियाँ और आगे की राह
हालांकि, भारत की आर्थिक वृद्धि के लिए कई चुनौतियाँ भी बनी हुई हैं:
- अवसंरचना (इन्फ्रास्ट्रक्चर) विकास की जरूरत
- कौशल और नवाचार अंतर (स्किल और इनोवेशन गैप) को कम करना
- परिवहन, डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर और अनुसंधान एवं विकास (R&D) में निवेश बढ़ाना
2047 के लक्ष्य की ओर बढ़ते हुए, भारत को एक संतुलित रणनीति अपनानी होगी, जो कार्यबल विकास, प्रौद्योगिकी और औद्योगिक वृद्धि को एकीकृत करे, ताकि यह एक वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में उभर सके।
| प्रमुख पहलू | विवरण |
| क्यों चर्चा में? | भारत 2047 तक उच्च आय वाला देश बनने की राह पर है, जिसमें सेवा क्षेत्र प्रमुख भूमिका निभाएगा। |
| जीडीपी अनुमान | 2047 तक $23 ट्रिलियन – $35 ट्रिलियन तक पहुंचने की संभावना। |
| मुख्य विकास चालक | सेवा क्षेत्र जीडीपी में 60% योगदान देगा, जबकि विनिर्माण क्षेत्र 32% तक पहुंचेगा। |
| कार्यबल वृद्धि | 200 मिलियन लोग कार्यबल में शामिल होंगे; 2030 तक 50 मिलियन कुशल श्रमिकों की कमी संभव। |
| प्रौद्योगिकी प्रभाव | एआई, चिप डिजाइन, टचलेस मैन्युफैक्चरिंग और नवीकरणीय ऊर्जा दक्षता को बढ़ाएंगे। |
| विनिर्माण निर्यात | 24% से बढ़कर 2047 तक 45%-50% होने की संभावना। |
| नवीकरणीय ऊर्जा वृद्धि | कुल ऊर्जा उत्पादन में हिस्सेदारी 2023 में 24% से बढ़कर 2047 तक 70% होगी। |
| विकास के प्रमुख क्षेत्र | इलेक्ट्रॉनिक्स, ऊर्जा, रसायन, ऑटोमोटिव और सेवा क्षेत्र। |
| चुनौतियाँ | अवसंरचना की कमी, कौशल की कमी और नवाचार की जरूरतें। |
| आगे की राह | डिजिटल अवसंरचना, अनुसंधान एवं विकास (R&D), और कार्यबल विकास में निवेश आवश्यक। |


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