जैसे ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2025 को अपना लगातार आठवां केंद्रीय बजट प्रस्तुत करने की तैयारी कर रही हैं, यह भारत के बजट से जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों और महत्वपूर्ण घटनाओं को याद करने का सही अवसर है। इन्हीं में से एक प्रमुख घटना थी 1956 में भारत का पहला मिनी बजट।
मिनी बजट एक विशेष परिस्थिति में पेश किया जाने वाला बजटीय प्रस्ताव होता है, जो वार्षिक बजट चक्र के बाहर प्रस्तुत किया जाता है। इसे आमतौर पर विशेष आर्थिक परिस्थितियों या राजनीतिक परिदृश्यों के कारण पेश किया जाता है। उदाहरण के लिए, चुनावी वर्षों में, निवर्तमान सरकार अंतरिम बजट प्रस्तुत करती है, और जब नई सरकार सत्ता में आती है, तो वह अतिरिक्त वित्तीय उपायों को लागू करने के लिए मिनी बजट ला सकती है।
भारत का पहला मिनी बजट 30 नवंबर 1956 को पेश किया गया था। इसे टी. टी. कृष्णामाचारी ने प्रस्तुत किया, जो उस समय भारत के चौथे वित्त मंत्री थे। उन्होंने अपने बजट भाषण में लगभग 5,000 शब्दों का विस्तृत विवरण दिया, जिसमें भारत की आर्थिक चुनौतियों और सरकार की नीतियों पर चर्चा की गई थी।
1956 का मिनी बजट भारत की गंभीर आर्थिक चुनौतियों के बीच प्रस्तुत किया गया था। उस समय देश को निम्नलिखित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा था:
इन चुनौतियों का सामना करने के लिए, टी. टी. कृष्णामाचारी ने नए कर प्रस्तावों की घोषणा की, जो वित्त विधेयकों के माध्यम से लागू किए गए। इन उपायों का उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था को स्थिर करना और आर्थिक संतुलन बहाल करना था।
हालांकि, वित्तीय मामलों में अपनी गहरी समझ के बावजूद, टी. टी. कृष्णामाचारी का कार्यकाल विवादों से घिरा रहा। फरवरी 1958 में, न्यायमूर्ति चागला आयोग की रिपोर्ट में उन्हें भ्रष्टाचार का दोषी पाया गया, जिसके चलते उन्हें वित्त मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।
कृष्णामाचारी के इस्तीफे के बाद, तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने स्वयं वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला। इस दौरान, वित्त मंत्री के बिना, नेहरू ने स्वयं 1958-59 का केंद्रीय बजट प्रस्तुत किया। यह उनकी बहुमुखी नेतृत्व क्षमता को दर्शाता है।
हालांकि भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण टी. टी. कृष्णामाचारी को इस्तीफा देना पड़ा था, लेकिन एक दशक से भी कम समय में, वे दोबारा वित्त मंत्री बने। अपने दूसरे कार्यकाल में, उन्होंने अगस्त 1965 में दूसरा मिनी बजट प्रस्तुत किया।
अपने पूरे कार्यकाल में, टी. टी. कृष्णामाचारी ने कुल छह बजट प्रस्तुत किए, जिनमें से दो मिनी बजट थे।
हालांकि उनका कार्यकाल विवादों से घिरा रहा, लेकिन उन्होंने भारत की वित्तीय नीतियों को आकार देने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
1956 का मिनी बजट न केवल भारत की अर्थव्यवस्था के लिए एक ऐतिहासिक घटना थी, बल्कि इसने भविष्य में वित्तीय नीतियों को निर्धारित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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