भारत के प्रथम स्वदेशी विमानवाहक पोत (indigenous aircraft carrier) आईएनएस विक्रांत को अगस्त में बेड़े में शामिल होने से पहले गहरे समुद्र में जटिल युद्धाभ्यास के लिए रविवार को एक और परीक्षण शुरू किया। चालीस हजार टन वजनी इस विमानवाहक पोत ने पिछले साल अगस्त में पांच दिवसीय पहली समुद्री यात्रा सफलतापूर्वक पूरी की थी और पिछले साल अक्टूबर में 10-दिवसीय समुद्री परीक्षण किया थ। भारत में बनने वाला ये सबसे बड़ा और सबसे जटिल युद्धपोत (warship) है।
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प्रमुख बिंदु (KEY POINTS):
- नौसेना ने कहा कि पहले समुद्री परीक्षणों के बाद युद्धपोत की प्रमुख प्रणालियों का प्रदर्शन संतोषजनक पाया गया।
- युद्धपोत को लगभग 23,000 करोड़ की लागत से बनाया गया था, जिसने भारत को अत्याधुनिक विमान वाहक विकसित करने की क्षमता वाले देशों के एक प्रतिबंधित समूह में धकेल दिया।
- युद्धपोत में मिग-29के लड़ाकू जेट, कामोव-31 हेलीकॉप्टर और एमएच-60आर बहु-भूमिका वाले हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया जाएगा।
- इसमें महिला अधिकारियों के लिए विशेष क्वार्टरों के साथ लगभग 2,300 डिब्बे हैं, और यह लगभग 1,700 लोगों के दल के लिए है।
- अधिकारियों के अनुसार, विक्रांत की शीर्ष गति लगभग 28 समुद्री मील और 18 समुद्री मील की परिभ्रमण गति है, जिसकी सीमा लगभग 7,500 समुद्री मील है।
- IAC 262 मीटर लंबा, 62 मीटर चौड़ा और 59 मीटर लंबा है। यह वर्ष 2009 से निर्माणाधीन है।
- कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड ने युद्धपोत का निर्माण किया है।
- आईएनएस विक्रमादित्य इस समय भारत का एकमात्र विमानवाहक पोत है।
- हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती सैन्य उपस्थिति के आलोक में, भारतीय नौसेना अपनी समग्र क्षमताओं को बढ़ाने पर काम कर रही है।
- भारतीय नौसेना हिंद महासागर को अपना पिछवाड़ा मानती है, और यह देश के सामरिक हितों के लिए महत्वपूर्ण है।