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2025-26 की पहली तिमाही में भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात 47% बढ़ेगा: वाणिज्य मंत्री

भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात ने वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (Q1) में अभूतपूर्व वृद्धि दर्ज की है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के अनुसार, जुलाई–सितंबर अवधि में निर्यात 47% बढ़कर 12.4 अरब डॉलर तक पहुंच गया। यह उछाल ‘मेक इन इंडिया’ पहल की सफलता और भारत के वैश्विक मैन्युफैक्चरिंग हब में बदलने का प्रमाण है, खासकर मोबाइल फोन सेक्टर में।

इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात वृद्धि: एक दशक का बदलाव

भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग 2014-15 में 31 अरब डॉलर से बढ़कर 2024-25 में 133 अरब डॉलर तक पहुंच गया।

  • 2014-15 निर्यात: ₹38,000 करोड़

  • 2024-25 निर्यात: ₹3.27 लाख करोड़ (लगभग 8 गुना वृद्धि)

  • Q1 2025-26: $12.4 अरब (47% वार्षिक वृद्धि)

यह रफ्तार भारत को दुनिया के अग्रणी इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यातकों में ला खड़ा करती है।

मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग: आयातक से वैश्विक दिग्गज तक

मोबाइल फोन निर्माण ने भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात को नई ऊँचाइयों तक पहुंचाया है।

  • 2014-15: भारत में बिकने वाले मोबाइलों में से केवल 26% ही घरेलू उत्पादन थे।

  • 2024-25: 99.2% मोबाइल ‘मेड इन इंडिया’।

  • निर्माण मूल्य: ₹18,900 करोड़ (FY14) → ₹4,22,000 करोड़ (FY24)।

  • निर्माण इकाइयाँ: 2014 में सिर्फ 2 → अब 300 से अधिक फैक्ट्रियाँ।

भारत आज दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता है।

मोबाइल से आगे का विस्तार

भारत का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात अब सिर्फ मोबाइल तक सीमित नहीं है। अन्य प्रमुख उत्पाद—

  • सोलर मॉड्यूल

  • नेटवर्किंग डिवाइस

  • चार्जर एडॉप्टर

  • इलेक्ट्रॉनिक पुर्जे और पार्ट्स

ये क्षेत्र न केवल निर्यात बढ़ा रहे हैं बल्कि रोजगार सृजन और सप्लाई चेन को भी मजबूत बना रहे हैं।

नीति प्रोत्साहन और आत्मनिर्भर भारत

भारत की इस सफलता के पीछे सरकार की सक्रिय नीतियाँ अहम हैं—

  • PLI (प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव) योजना

  • मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर और ‘ईज ऑफ डूइंग बिज़नेस’ सुधार

  • आत्मनिर्भर भारत मिशन के तहत महत्वपूर्ण तकनीकी क्षेत्रों में स्वावलंबन

  • सेमीकंडक्टर और चिप निर्माण को बढ़ावा, ताकि आयात पर निर्भरता घटे

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