भारत ने महासागर की गहराइयों की खोज में नया इतिहास रच दिया है। ‘डीप ओशन मिशन’ के तहत एक भारतीय एक्वानॉट ने उत्तर अटलांटिक महासागर में 5,002 मीटर की गहराई तक गोता लगाया, जो अब तक की भारत की सबसे गहरी मानव गोताखोरी है। फ्रांस के सहयोग से संपन्न यह उपलब्धि भारत के उन्नत गहरे समुद्री प्रौद्योगिकी निर्माण, संसाधन उपयोग और वैज्ञानिक अनुसंधान की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
रिकॉर्ड तोड़ गोताखोरी
5 और 6 अगस्त 2025 को फ्रांसीसी सबमर्सिबल ‘नॉटील’ (Nautile) से ये गोताखोरियां की गईं—
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डॉ. राजू रमेश, वैज्ञानिक (NIOT) – 5 अगस्त को 4,025 मीटर गहराई तक उतरे।
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जतिंदर पाल सिंह, सेवानिवृत्त नौसेना कमांडर – 6 अगस्त को 5,002 मीटर तक जाकर नया भारतीय रिकॉर्ड बनाया।
इससे भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जो गहरे समुद्र में मानवयुक्त अभियान चला सकते हैं।
भारत-फ्रांस सहयोग और तकनीकी लाभ
यह मिशन भारत-फ्रांस साझेदारी का परिणाम है, जिसमें भारत को—
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चरम समुद्री परिस्थितियों का व्यावहारिक अनुभव,
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भावी स्वदेशी मिशनों के लिए प्रशिक्षण,
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और समुद्री विज्ञान व प्रौद्योगिकी में सहयोग—
प्राप्त हुआ।
डीप ओशन मिशन और ‘समुद्रयान’ परियोजना
भारत का डीप ओशन मिशन मानवयुक्त सबमर्सिबल्स, स्वचालित वाहनों और गहरे समुद्री खनन क्षमताओं को बढ़ाने पर केंद्रित है।
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‘मत्स्य 6000’ नामक मानवयुक्त सबमर्सिबल 6,000 मीटर की गहराई तक जाने के लिए विकसित किया जा रहा है।
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इसका परीक्षण दिसंबर 2027 तक होने की संभावना है।
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फोकस क्षेत्रों में खनिज और हाइड्रोकार्बन खोज, जैव विविधता अध्ययन और जलवायु अनुसंधान शामिल हैं।
भारत के लिए महत्व
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प्रौद्योगिकी छलांग: गहरे समुद्र की खोज और दबाव-रोधी तकनीक में विशेषज्ञता।
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संसाधन खोज: भारत के विशिष्ट आर्थिक क्षेत्र (EEZ) में खनिज और दुर्लभ तत्वों तक पहुंच।
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वैश्विक प्रतिष्ठा: अमेरिका, फ्रांस, रूस और चीन जैसे देशों की श्रेणी में स्थान।
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राष्ट्रीय गौरव: अंतरिक्ष की ऊंचाइयों और महासागर की गहराइयों—दोनों पर विजय पाने की क्षमता का प्रमाण।


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