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भारत का डेयरी क्षेत्र: पोषण और आय सुरक्षा को सुदृढ़ बनाना

भारत का डेयरी क्षेत्र केवल दूध तक सीमित नहीं है, बल्कि यह करोड़ों किसानों की आजीविका और राष्ट्र के पोषण का आधार भी है। मज़बूत सहकारी नेटवर्क, सरकारी सहयोग और महिलाओं की उच्च भागीदारी के साथ यह क्षेत्र प्रतिदिन पोषण उपलब्ध कराता है, ग्रामीण रोज़गार को प्रोत्साहित करता है और खाद्य सुरक्षा को मज़बूत बनाता है। जैसे-जैसे भारत अपने डेयरी तंत्र का आधुनिकीकरण कर रहा है, अब ध्यान सततता, नवाचार और समावेशी विकास पर केंद्रित है।

पोषण और आय: डेयरी का महत्व

  • दूध को लगभग पूर्ण आहार माना जाता है, जिसमें प्रोटीन, कैल्शियम, पोटैशियम, विटामिन और स्वस्थ वसा प्रचुर मात्रा में होती है।

  • यह बच्चों और बुज़ुर्गों सहित सभी आयु वर्गों के विकास और हड्डियों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।

  • कृषि उत्पादों में डेयरी सबसे बड़ा क्षेत्र है, जो राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में लगभग 5% योगदान करता है और सीधे 8 करोड़+ किसानों को आजीविका देता है, जिनमें अधिकतर छोटे और सीमांत किसान शामिल हैं।

  • महिलाओं की बड़ी भागीदारी ने इसे देश का सबसे समावेशी क्षेत्र बना दिया है।

पिछले दशक की उपलब्धियाँ

  • रिकॉर्ड दूध उत्पादन: 2014–15 के 146.3 मिलियन टन से बढ़कर 2023–24 में 239.3 मिलियन टन (63.56% वृद्धि, औसत वार्षिक वृद्धि दर 5.7%)।

  • प्रति व्यक्ति उपलब्धता: 48% बढ़कर 2023–24 में 471 ग्राम/प्रति दिन हो गई, जो वैश्विक औसत (322 ग्राम) से कहीं अधिक है।

  • उत्पादकता वृद्धि: 2014 से अब तक मवेशियों की उत्पादकता में 27.39% वृद्धि, जो विश्व में सर्वाधिक है।

महिलाएँ: डेयरी की धुरी

  • डेयरी कार्यबल का लगभग 70% महिलाएँ हैं और 35% सहकारी सदस्य भी महिलाएँ हैं।

  • देशभर में 48,000 से अधिक महिला-नेतृत्व वाली सहकारी समितियाँ सक्रिय हैं।

  • महिला संचालित दूध उत्पादक संगठन (MPOs) ग्रामीण महिलाओं को आर्थिक सशक्तिकरण और नेतृत्व के अवसर प्रदान कर रहे हैं।

डेयरी सहकारी समितियाँ: क्षेत्र की रीढ़

भारत का डेयरी नेटवर्क –

  • 22 राज्य स्तरीय संघ

  • 241 जिला सहकारी संघ

  • 28 विपणन डेयरी

  • 25 दूध उत्पादक संगठन (MPOs)

यह नेटवर्क 2.35 लाख गाँवों और 1.72 करोड़ किसानों को जोड़ता है, जो उन्हें न्यायसंगत मूल्य, पशु चिकित्सा सेवाएँ, चारा और प्रशिक्षण उपलब्ध कराता है।

प्रौद्योगिकी हस्तक्षेप और प्रमुख योजनाएँ

  • राष्ट्रीय गोकुल मिशन (2014): नस्ल सुधार, संरक्षण और प्रजनन हेतु ₹3400 करोड़ आवंटन (2025 तक)।

  • कृत्रिम गर्भाधान (AI): 2024–25 में 565.55 लाख एआई; अब तक 14.12 करोड़ एआई किए गए।

  • IVF और सेक्स-सॉर्टेड सीमन: 22 IVF लैब; 1.032 करोड़ से अधिक डोज़ तैयार।

  • MAITRIs: 38,700 प्रशिक्षित तकनीशियन किसानों को गाँव-गाँव सेवाएँ प्रदान कर रहे हैं।

  • प्रोजेनी टेस्टिंग व ब्रीड मल्टीप्लीकेशन: 2021–24 के बीच 3,747 सांडों का परीक्षण और 132 फार्म स्थापित।

व्हाइट रिवोल्यूशन 2.0 (2024–29)

  • सहकारी दुग्ध संग्रह 660 लाख किग्रा/दिन से बढ़ाकर 1007 लाख किग्रा/दिन करना।

  • 75,000 नई डेयरी सहकारी समितियों की स्थापना।

  • 46,422 मौजूदा सहकारी समितियों का सशक्तिकरण।

  • सतत उत्पादन हेतु जैविक खाद, बायोगैस और इको-फ्रेंडली चारा को बढ़ावा।

  • वित्तीय समावेशन के लिए RuPay किसान क्रेडिट कार्ड और डिजिटल भुगतान प्रणाली

मुख्य तथ्य (एक नज़र में)

  • भारत विश्व का #1 दूध उत्पादक, वैश्विक उत्पादन का लगभग 25% योगदान

  • पिछले दशक में दूध उत्पादन में 63.56% वृद्धि

  • प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता: 471 ग्राम/दिन (2023–24)।

  • 8 करोड़+ किसान डेयरी पर निर्भर।

  • कार्यबल में महिलाओं की भागीदारी 70%

  • प्रमुख योजनाएँ: राष्ट्रीय गोकुल मिशन, राष्ट्रीय कृत्रिम गर्भाधान कार्यक्रम (NAIP), MAITRIs, व्हाइट रिवोल्यूशन 2.0

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