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भारत पांच साल की रोक के बाद चीनी आयात के लिए मंजूरी फिर से शुरू करेगा

भारत सरकार ने एक महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव के तहत चीन और अन्य देशों से वस्तुओं के आयात अनुमोदन (import approvals) को पुनः शुरू करने का निर्णय लिया है — जिससे साल 2020 में लगी पांच वर्ष पुरानी रोक समाप्त हो जाएगी। यह कदम आपूर्ति श्रृंखला (supply chain) को स्थिर करने, घरेलू उद्योगों को समर्थन देने, और जीएसटी (GST) में हालिया कटौती के बाद बढ़ती उपभोक्ता मांग को पूरा करने की व्यापक रणनीति का हिस्सा है।

पृष्ठभूमि: 2020 का आयात प्रतिबंध

2020 के मध्य में गलवान घाटी संघर्ष के बाद जब भारत-चीन संबंध बिगड़ गए, तब भारत ने चीन से कई वस्तुओं के आयात अनुमोदनों को रोक दिया था।
इस दौरान सरकार ने कई गैर-शुल्कीय (non-tariff) प्रतिबंध लागू किए, जैसे —

  • विदेशी उत्पादन इकाइयों के लिए अनिवार्य प्रमाणन (mandatory certification)

  • इलेक्ट्रॉनिक्स, दूरसंचार उपकरण और औद्योगिक कच्चे माल की मंजूरी में देरी

  • पड़ोसी देशों से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) पर सख्त निगरानी

इन प्रतिबंधों से प्रभावित प्रमुख क्षेत्र थे —

  • उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स

  • जूते, घरेलू सामान

  • इस्पात और औद्योगिक कच्चे पदार्थ

अब क्या बदल रहा है

सरकार अब चीन सहित अन्य एशियाई आपूर्तिकर्ताओं से आने वाले आयात अनुमोदनों को तेज़ी से मंजूरी देने की योजना बना रही है।

मुख्य बदलावों में शामिल हैं —

  • भारतीय कंपनियों द्वारा लंबित आयात प्रस्तावों की शीघ्र मंजूरी (fast-tracking)

  • विदेशी उत्पादन इकाइयों के प्रमाणन की आवश्यकता का पुनर्मूल्यांकन (re-evaluation)

  • घरेलू उत्पादन और आयात लचीलेपन के बीच संतुलन बनाना

इसका उद्देश्य उन उद्योगों में आपूर्ति सुनिश्चित करना है, जहाँ भंडार की कमी (stockouts) देखी जा रही है, और जीएसटी कटौती के बाद उपभोक्ता बाजार में आई तेजी का लाभ उठाना है।

रणनीतिक संतुलन बनाए रखना

हालांकि यह नीति खुलापन दर्शाती है, लेकिन सरकार कुछ संवेदनशील क्षेत्रों पर सख्ती जारी रखेगी —

  • दूरसंचार (Telecom) और रणनीतिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण पर कड़ी निगरानी बनी रहेगी

  • निगरानी (surveillance)द्वि-उपयोग (dual-use) तकनीकों पर नियंत्रण जारी रहेगा

इस प्रकार, यह कदम पूर्ण प्रतिबंध हटाने के बजाय एक लक्षित नीतिगत नरमी (targeted import thaw) है — जिसका उद्देश्य आर्थिक पुनरुद्धार और औद्योगिक आपूर्ति की मजबूती है, जबकि राष्ट्रीय सुरक्षा चिंताओं को भी बरकरार रखा गया है।

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