वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने अनुमान लगाया है कि भारत 2025 में उभरती अर्थव्यवस्थाओं और एशिया-प्रशांत (APAC) क्षेत्र का सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला देश रहेगा, जिसकी GDP वृद्धि 7% रहने की उम्मीद है। 2026 के लिए भारत की वृद्धि 6.4% अनुमानित की गई है, जो विकास की निरंतर मजबूत गति को दर्शाती है। मूडीज़ के अनुसार, एशिया-प्रशांत क्षेत्र की वृद्धि 2025 में 3.6% और 2026 में 3.4% रहने का अनुमान है, जो 2024 के 3.3% से अधिक है। यह स्पष्ट रूप से दर्शाता है कि भारत की आर्थिक रफ्तार क्षेत्रीय औसत से कहीं अधिक है।
मजबूत घरेलू मांग से बना आर्थिक संतुलन
मूडीज़ भारत की मजबूती का श्रेय निम्न कारकों को देता है—
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निरंतर निजी खपत
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मजबूत निवेश गतिविधियाँ
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सरकार का बड़ा इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश
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विस्तारित होता विनिर्माण और सेवाएँ क्षेत्र
ये घरेलू कारक भारत की अर्थव्यवस्था को वैश्विक अनिश्चितताओं, भू-राजनैतिक तनावों और ऊर्जा बाज़ार के उतार-चढ़ाव से सुरक्षित रखते हैं।
रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत और स्थिर बनी हुई है।
मुद्रा उतार-चढ़ाव का सीमित प्रभाव
हालाँकि भारतीय रुपया डॉलर के मुकाबले कमजोर हो रहा है, लेकिन मूडीज़ का कहना है कि अधिकांश भारतीय कंपनियाँ विदेशी मुद्रा जोखिम को संभालने में सक्षम हैं। इसके कारण—
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कंपनियों के पास अच्छी हेजिंग रणनीतियाँ मौजूद हैं।
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इन्वेस्टमेंट-ग्रेड कंपनियों की वित्तीय स्थिति मजबूत है।
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अंतरराष्ट्रीय पूंजी बाज़ारों से भारतीय कंपनियों की पहुँच निरंतर बनी हुई है।
यह वित्तीय अनुशासन भारत को पूंजी प्रवाह में वैश्विक अस्थिरता के बावजूद स्थिर बनाए रखता है।
उभरते बाज़ारों में भारत की रणनीतिक बढ़त
मूडीज़ का दृष्टिकोण बताता है कि भारत वैश्विक आर्थिक सुस्ती के बीच भी एक रणनीतिक रूप से मजबूत अर्थव्यवस्था बना हुआ है।
भारत को बढ़त मिलती है—
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बड़े बाज़ार आकार
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जनसांख्यिकीय लाभ
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संरचनात्मक सुधारों
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वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में बढ़ती भूमिका से
IMF के 2026 के लिए 6.6% वृद्धि अनुमान और NSO द्वारा Q2 FY26 में 8.2% GDP वृद्धि जैसी सकारात्मक रिपोर्टें भी इस विकास कथा को मजबूत करती हैं।
मुख्य तथ्य
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मूडीज़ ने 2025 में भारत की 7% GDP वृद्धि का अनुमान लगाया—APAC और उभरते बाज़ारों में सबसे अधिक।
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2026 में भारत 6.4% की दर से बढ़ता रहेगा।
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APAC क्षेत्र में वृद्धि 2025 में 3.6% और 2026 में 3.4% रहेगी।
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भारत की मजबूत घरेलू मांग, खपत और निवेश आर्थिक स्थिरता प्रदान करते हैं।
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कमजोर होता रुपया बड़ा खतरा नहीं—भारतीय कंपनियों के पास प्रभावी विदेशी मुद्रा जोखिम प्रबंधन।
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भारत की आर्थिक बुनियाद मजबूत, और अंतरराष्ट्रीय निवेशकों का विश्वास बना हुआ है।


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