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भारत ने जांबिया के साथ सहकारी निर्यात बढ़ाने के लिए समझौते पर हस्ताक्षर किए

भारत ने जांबिया के साथ एक सहयोग ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसका उद्देश्य दोनों देशों के सहकारी समितियों (Cooperatives) के बीच व्यापारिक गठबंधनों को मज़बूत करना है। इस समझौते की घोषणा केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने 12 अगस्त 2025 को लोकसभा में की। यह पहल भारत की व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसके तहत अंतरराष्ट्रीय मिशनों के माध्यम से अपने सहकारी निर्यात नेटवर्क का विस्तार किया जा रहा है।

भारत–जांबिया समझौते का विवरण

यह MoU निम्न बिंदुओं पर केंद्रित है—

  • दोनों देशों के बीच सहकारी समितियों को बढ़ावा देना।

  • सहकारी संस्थाओं के बीच व्यापारिक गठबंधनों के लिए सुविधाएं उपलब्ध कराना।

  • ज़ाम्बिया में भारतीय सहकारी उत्पादों के लिए बाज़ार तक पहुंच बढ़ाना।

सहकारिता मंत्रालय भारतीय दूतावासों और विदेशी मिशनों के माध्यम से निर्यातकों को बाज़ार संबंधी जानकारी प्रदान करेगा और नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (NCEL) को संभावित आयातकों से जोड़ेगा।

नेशनल कोऑपरेटिव एक्सपोर्ट्स लिमिटेड (NCEL) की भूमिका

NCEL एक समर्पित निर्यात संस्था है, जिसे सहकारी क्षेत्र के उत्पादों को वैश्विक बाज़ार तक पहुंचाने के लिए बनाया गया है। इस पहल के तहत—

  • NCEL ने निम्न कंपनियों के साथ भी MoU पर हस्ताक्षर किए हैं:

    • सिंटन वैंटेज ट्रेडिंग (सेनेगल)

    • पीटी सिंटन सुरिनी नुसंतारा (इंडोनेशिया)

इन समझौतों का उद्देश्य निर्यात गंतव्यों में विविधता लाना और परस्पर लाभकारी व्यापारिक साझेदारियों को बढ़ावा देना है।

रणनीतिक महत्व

भारत के लिए

  • सहकारी क्षेत्र के उत्पादों के निर्यात क्षेत्र को विस्तार देना।

  • दक्षिण–दक्षिण व्यापार संबंधों को मजबूत करना।

  • ग्रामीण और कृषि निर्यात आय को बढ़ाकर आत्मनिर्भर भारत का समर्थन।

जांबिया के लिए

  • कृषि, प्रसंस्करण और मूल्य संवर्धन में भारतीय सहकारी विशेषज्ञता तक पहुंच।

  • सहकारी उद्योगों में संयुक्त उपक्रम (Joint Ventures) के अवसर।

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