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भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर

भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति को मज़बूत समर्थन देते हुए भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने घोषणा की कि भारत जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की राह पर है। इंदौर में आयोजित एक वित्तीय समावेशन कार्यक्रम में बोलते हुए उन्होंने कहा कि इस उपलब्धि के पीछे प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) की परिवर्तनकारी भूमिका है, जिसने राष्ट्रीय विकास की गति को तेज़ किया है।

जनधन योजना: समावेशी विकास की नींव

  • 2014 में लॉन्च की गई यह योजना सरकार और RBI की एक संयुक्त पहल थी, ताकि हर नागरिक को बुनियादी बैंक खाता मिल सके।

  • अब तक 55 करोड़ बैंक खाते खोले जा चुके हैं।

  • इन खातों के माध्यम से नागरिकों को उपलब्ध कराए गए प्रमुख वित्तीय सेवाएँ:

    • बचत खाता

    • पेंशन योजनाएँ

    • ऋण (Credit) की सुविधा

    • बीमा कवरेज

इसने विशेष रूप से ग्रामीण और वंचित वर्गों को सशक्त बनाया और उन्हें औपचारिक अर्थव्यवस्था में भागीदार बनाया।

भारत की आर्थिक गति: 7.8% GDP वृद्धि

  • वित्त वर्ष 2025–26 की पहली तिमाही (अप्रैल–जून) में GDP वृद्धि दर 7.8% रही।

  • यह पिछले पाँच तिमाहियों में सबसे अधिक है।

  • वैश्विक वित्तीय अनिश्चितताओं और व्यापार तनावों के बावजूद यह प्रदर्शन भारत की आर्थिक लचीलापन (Resilience) को दर्शाता है।

गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि भारत पहले ही दुनिया की पाँच सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है और मौजूदा गति से यह जल्द ही शीर्ष तीन वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं में प्रवेश करेगा।

देशभर में वित्तीय अवसंरचना को मज़बूत बनाना

‘संतृप्ति शिविर’ अभियान

  • 1 जुलाई से 30 सितंबर तक चल रहा है।

  • अभियान का लक्ष्य:

    • नए जनधन खाते खोलना

    • नागरिकों को सामाजिक सुरक्षा योजनाओं में नामांकित करना

    • KYC अपडेट करना

  • बैंकों को सरकारी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर इसे अंतिम छोर तक पहुँचाने का निर्देश दिया गया है।

जोखिमों से निपटना और डिजिटल साक्षरता बढ़ाना

  • गवर्नर ने ‘म्यूल अकाउंट्स’ (अवैध लेन-देन के लिए दुरुपयोग किए गए खाते) पर चिंता जताई।

  • सभी जनधन खाता धारकों से अपील की कि वे KYC औपचारिकताएँ पूरी करें और सतर्क रहें।

  • उन्होंने डिजिटल साक्षरता को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर ज़ोर दिया, विशेषकर –

    • UPI और डिजिटल बैंकिंग अपनाने के लिए

    • ताकि लेन-देन तेज़, सुरक्षित और प्रभावी हो सके।

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