भारत शिलांग से सिलचर तक हाई-स्पीड फोर-लेन हाईवे के विकास के साथ अपने पूर्वोत्तर राज्यों के लिए कनेक्टिविटी को फिर से परिभाषित करने के लिए तैयार है, जो बांग्लादेश को बायपास करेगा और म्यांमार में कलादान मल्टी-मॉडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट के साथ एकीकृत होगा। यह ऐतिहासिक बुनियादी ढांचा पहल समुद्र के माध्यम से पूर्वोत्तर और कोलकाता के बीच रणनीतिक और आर्थिक संपर्क को बढ़ाएगी, जो भारत की एक्ट ईस्ट नीति में एक महत्वपूर्ण कड़ी बनेगी।
समाचार में क्यों?
30 अप्रैल 2025 को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ₹22,864 करोड़ की लागत से 166.8 किमी लंबे हाई-स्पीड राजमार्ग को मंजूरी दी, जो मेघालय के मावलिंगखुंग से असम के पंचग्राम तक बनेगा। यह सड़क भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को बांग्लादेश को बायपास करते हुए म्यांमार के जरिए कोलकाता से जोड़ने वाले नए समुद्री मार्ग का अहम हिस्सा बनेगी। यह कदम भारत की ‘एक्ट ईस्ट नीति’ के तहत कनेक्टिविटी और रणनीतिक प्रतिक्रिया का हिस्सा है, विशेष रूप से बांग्लादेशी नेतृत्व की हालिया टिप्पणियों के मद्देनज़र।
मुख्य बिंदु
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परियोजना का नाम: शिलांग से सिलचर हाई-स्पीड कॉरिडोर (NH-6)
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लंबाई: कुल 166.8 किमी (144.8 किमी मेघालय में, 22 किमी असम में)
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अनुमानित लागत: ₹22,864 करोड़
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निर्माण मोड: हाइब्रिड अनुइटी मोड (PPP के तहत)
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कार्यकारी एजेंसी: नेशनल हाईवे एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड (NHIDCL)
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निर्धारित पूर्णता: वर्ष 2030 तक
रणनीतिक महत्व
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भारत को बांग्लादेश पर निर्भरता कम करते हुए कोलकाता और विशाखापट्टनम तक समुद्री पहुंच देगा।
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मिजोरम के जोरिनपुई से होते हुए कलादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट से जुड़ेगा।
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सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) पर निर्भरता घटेगी, जो भौगोलिक दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र है।
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‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ के तहत व्यापार, सुरक्षा और रणनीतिक लॉजिस्टिक्स को बल मिलेगा।
इंजीनियरिंग विशेषताएँ
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उत्तर-पूर्व भारत के पहाड़ी क्षेत्रों में बनने वाला पहला हाई-स्पीड फोर-लेन राजमार्ग
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लैंडस्लाइड से बचाव हेतु ढलान स्थिरीकरण तकनीक
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LiDAR तकनीक द्वारा स्थलाकृतिक सर्वेक्षण
प्रमुख निगरानी उपकरण:
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जियोफोन: कंपन की निगरानी
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इन्क्लिनोमीटर: भू-गति और ढलानों की स्थिरता पर नजर
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रेन गेज, सेटलमेंट गेज, पाईजोमीटर: पर्यावरण और भू-तकनीकी मापदंडों की निगरानी
निर्माण ढांचा
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19 बड़े पुल, 153 छोटे पुल, 326 कलवर्ट
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22 अंडरपास, 26 ओवरपास, 8 कम ऊँचाई वाले सबवे
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34 वायाडक्ट (उच्च स्तरीय पुल)
कलादान मल्टी-मोडल ट्रांजिट ट्रांसपोर्ट प्रोजेक्ट: परिचय
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भारत के विदेश मंत्रालय द्वारा वित्तपोषित
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कोलकाता पोर्ट से सितवे (म्यांमार) तक समुद्री मार्ग
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सितवे से पलेटवा तक अंतर्देशीय जलमार्ग
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पलेटवा से मिजोरम के जोरिनपुई तक सड़क मार्ग
राजनयिक और भू-राजनीतिक संदर्भ
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बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख सलाहकार मुहम्मद यूनुस ने कहा कि “उत्तर-पूर्व भारत भूमि-बंद (लैंडलॉक्ड) है और ढाका ही उसका समुद्री रक्षक है।”
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भारत ने प्रतिक्रिया में बांग्लादेश पर निर्भरता घटाने के लिए इस कॉरिडोर पर काम तेज किया।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अप्रैल 2025 में BIMSTEC शिखर सम्मेलन के दौरान चेताया कि “ऐसी बयानबाज़ी से क्षेत्रीय माहौल बिगड़ सकता है।”


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