2024–25 के दौरान देश के 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सरकारी स्कूलों में छात्रों के नामांकन में तेज़ गिरावट दर्ज की गई है, जिससे शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education – MoE) ने गहरी चिंता व्यक्त की है। यह मुद्दा हाल ही में आयोजित प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (PM-POSHAN) योजना की समीक्षा बैठक में सामने आया, जहां अधिकारियों ने उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे बड़े राज्यों में हुई भारी गिरावट को लेकर विशेष रूप से चिंता जताई। मंत्रालय ने सभी राज्यों को निर्देश दिया है कि वे इस गिरावट के कारणों की जांच करें और 30 जून 2025 तक विस्तृत रिपोर्ट सौंपें। यह गिरावट न केवल शिक्षा क्षेत्र की सेहत पर सवाल उठाती है, बल्कि सरकारी योजनाओं की पहुंच और प्रभावशीलता, खासकर मिड-डे मील जैसे पोषण कार्यक्रमों, पर भी प्रतिकूल प्रभाव डाल सकती है।
समाचार में क्यों?
2024–25 के दौरान देश के 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में छात्रों के नामांकन में तेज़ गिरावट दर्ज की गई है, जिससे शिक्षा मंत्रालय (MoE) ने गंभीर चिंता व्यक्त की है। यह मुद्दा अप्रैल 2025 में हुई प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण (PM-POSHAN) योजना की समीक्षा बैठक में सामने आया। मंत्रालय ने सभी संबंधित राज्यों से 30 जून 2025 तक विस्तृत रिपोर्ट मांगी है।
PM-POSHAN समीक्षा बैठक की मुख्य टिप्पणियाँ
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23 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में नामांकन घटा है, जिनमें से 8 राज्यों में एक लाख से अधिक की गिरावट दर्ज की गई है।
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प्रमुख गिरावट वाले राज्य:
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उत्तर प्रदेश: –21.83 लाख
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बिहार: –6.14 लाख
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राजस्थान: –5.63 लाख
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पश्चिम बंगाल: –4.01 लाख
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कर्नाटक: –2 लाख
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असम: –1.68 लाख
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तमिलनाडु: –1.65 लाख
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दिल्ली: –1.05 लाख
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संभावित कारण (अधिकारियों द्वारा बताए गए):
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डेटा शुद्धिकरण: अब स्कूल-स्तर के बजाय आधार आधारित छात्र-स्तरीय नामांकन ट्रैकिंग लागू होने से फर्जी या डुप्लीकेट ‘भूतिया छात्रों’ को हटाया गया है।
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निजी स्कूलों की ओर रुझान: कोविड के बाद अभिभावकों द्वारा दोबारा निजी स्कूलों को प्राथमिकता देना।
PM-POSHAN योजना पर प्रभाव
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कई राज्यों में मिड-डे मील (मध्याह्न भोजन) पाने वाले बच्चों की संख्या में गिरावट:
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दिल्ली: –97,000 (सिर्फ 60–69% बच्चों को ही लाभ मिल रहा है)
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उत्तर प्रदेश: –5.41 लाख
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राजस्थान: –3.27 लाख
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पश्चिम बंगाल: –8.04 लाख
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कुछ जगहों से रिपोर्ट: बच्चे खुद का भोजन लेकर आ रहे हैं; मंत्रालय ने राज्यों को भोजन की गुणवत्ता पर निगरानी और योजना में भागीदारी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।
PM-POSHAN योजना का परिचय
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पहले नाम: मिड-डे मील योजना
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शुरुआत: 1995
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कवरेज: सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में प्री-प्राइमरी से कक्षा 8 तक के छात्र
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उद्देश्य: बच्चों में पोषण सुधारना, उपस्थिति बढ़ाना, एकाग्रता और सीखने की क्षमता को बेहतर बनाना
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वित्तीय साझेदारी: 60:40 (केंद्र:राज्य); केंद्र सरकार खाद्यान्न प्रदान करती है।
मामले का महत्व
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यह गिरावट केवल शिक्षा तक सीमित नहीं है, बल्कि पब्लिक एजुकेशन सिस्टम की विश्वसनीयता, बच्चों तक पोषण पहुंच, और डेटा पारदर्शिता पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है।
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इसका सीधा प्रभाव बच्चों के विकास लक्ष्यों, स्कूल में बने रहने, और सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता पर पड़ता है।