भारत में आप्रवासन ढांचे को आधुनिक बनाने के महत्वपूर्ण कदम के रूप में, गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने आप्रवासन और विदेशी विधेयक, 2025 (Immigration and Foreigners Bill, 2025) संसद में प्रस्तुत किया। इस विधेयक का उद्देश्य औपनिवेशिक युग के पुराने कानूनों को समाप्त कर एक संगठित और कड़े आप्रवासन तंत्र को स्थापित करना है, जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत किया जा सके, विदेशी नागरिकों के नियमन को सख्त किया जा सके और प्रवेश व निवास शर्तों के उल्लंघन पर कड़ी सजा दी जा सके।
यह विधेयक चार मौजूदा कानूनों को समाप्त करने का प्रस्ताव रखता है, जो वर्तमान में भारत में आप्रवासन और विदेशी नागरिकों के प्रबंधन को नियंत्रित करते हैं:
सरकार का तर्क है कि इस नए विधेयक से ओवरलैपिंग (अतिव्यापी) प्रावधानों को समाप्त किया जा सकेगा, कानूनी ढांचा सरल होगा, और भारत में विदेशी नागरिकों पर अधिक प्रभावी नियंत्रण रखा जा सकेगा।
विधेयक के अनुसार, कोई भी विदेशी नागरिक जो राष्ट्रीय सुरक्षा, संप्रभुता या भारत की अखंडता के लिए खतरा बन सकता है, उसे देश में प्रवेश या निवास की अनुमति नहीं दी जाएगी।
| अपराध | सजा | जुर्माना |
|---|---|---|
| बिना वैध पासपोर्ट या वीज़ा के प्रवेश | 5 साल तक की कैद | ₹5 लाख तक |
| जाली दस्तावेजों का उपयोग | 2 से 7 साल तक की कैद | ₹1 लाख से ₹10 लाख |
| वीज़ा शर्तों का उल्लंघन या ओवरस्टे | 3 साल तक की कैद | ₹3 लाख तक |
| प्रतिबंधित क्षेत्रों में घुसपैठ | गंभीर कानूनी कार्रवाई, हिरासत व निष्कासन |
सरकारी आँकड़ों के अनुसार, 1 अप्रैल 2023 से 31 मार्च 2024 के बीच 9,840,321 विदेशी नागरिक भारत आए। नया विधेयक इतनी बड़ी संख्या में विदेशी आगंतुकों के प्रबंधन को अधिक प्रभावी और सुरक्षित बनाएगा।
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