आईआईटी जम्मू में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर डॉ. करण नथवानी ने ध्वनि प्रौद्योगिकी पर आधारित एक एंटी-ड्रोन प्रणाली विकसित करने में सफलता हासिल की है। यह नवीनतम प्रणाली अपनी तरह की पहली प्रणाली है जो पहचान के लिए ध्वनि का उपयोग करती है। यह प्रणाली ड्रोन द्वारा ध्वनि संकेतों का पता लगाकर संचालित होती है, जिन्हें फिर एक व्यापक डेटाबेस के साथ क्रॉस चेक किया जाता है। यदि मिलान पाया जाता है, तो ड्रोन की सफलतापूर्वक पहचान कर ली जाती है।
कैमरे या रडार की आवश्यकता नहीं
विशेष रूप से, यह अत्याधुनिक तकनीक न केवल लागत प्रभावी है बल्कि उपयोग करने में आसान है, बता दें कि इसमें कैमरे या रडार की आवश्यकता नहीं पड़ती। इस प्रणाली को विकसित करने करीब 4 लाख रुपये लागत से तैयार किया गया है। यह नवाचार ऐसे महत्वपूर्ण समय में आया है जब सुरक्षा बल सीमा पार से हथियारों, गोला-बारूद, नकदी और दवाओं की तस्करी के लिए ड्रोन के बढ़ते उपयोग से जूझ रहे हैं।
इस ध्वनि-आधारित ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम के विकास में 1 साल का समय लगा, जिसमें प्राथमिक चुनौती डेटा अधिग्रहण से संबंधित थी। डॉ. नथवानी ने अंतर्राष्ट्रीय सीमा और नियंत्रण रेखा पर एक फुलप्रूफ एंटी-ड्रोन ग्रिड सिस्टम की आवश्यकता पर जोर दिया।
अवैध गतिविधियों की निगरानी में मिलेगी मदद
जम्मू और कश्मीर क्षेत्र में चुनौतियों का समाधान करने के अलावा, ध्वनि-आधारित ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम द्वारा पाकिस्तान से आने वाले ड्रोन का पता लगाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है। यह तकनीक अवैध गतिविधियों के लिए ड्रोन के इस्तेमाल की बढ़ती प्रवृत्ति का मुकाबला करने में मददगार साबित होगी।
आईआईटी जम्मू द्वारा विकसित ध्वनि-आधारित ड्रोन डिटेक्शन सिस्टम एंटी-ड्रोन तकनीक के क्षेत्र में गेम-चेंजर बनने की ओर अग्रसर है, जो गैरकानूनी गतिविधियों में ड्रोन के बढ़ते उपयोग से उत्पन्न सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक लागत प्रभावी और विश्वसनीय समाधान पेश करता है।