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ब्रुकफील्ड की बीकानेर सौर ऊर्जा परियोजना में आईएफसी का निवेश

ब्रुकफील्ड की बीकानेर सौर ऊर्जा परियोजना में आईएफसी का निवेश |_3.1

अंतर्राष्ट्रीय वित्त निगम (आईएफसी) ने राजस्थान में स्थित ब्रुकफील्ड के बीकानेर सौर ऊर्जा परियोजना के गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर में 105 मिलियन डॉलर (लगभग 871 करोड़ रुपये) का निवेश करने पर सहमति व्यक्त की है। आईएफ़सी, विश्व बैंक समूह की एक एकमात्र सहायक संस्था है जो निजी क्षेत्र की कंपनियों को वित्त प्रदान करती है।

बीकानेर में ब्रुकफील्ड की सौर ऊर्जा परियोजना

ब्रुकफील्ड ग्लोबल ट्रांजिशन फंड (बीजीटीएफ) बीकानेर में दो चरणों में 550 मेगावाट की सौर ऊर्जा परियोजना का निर्माण कर रहा है। ब्रुकफिल्ड ने मार्च 2024 में बीकानेर सौर ऊर्जा परियोजना के 268 मेगावाट के पहले चरण को चालू किया था । दूसरे चरण में सौर ऊर्जा परियोजना की क्षमता 282 मेगावाट है, जिससे इस परियोजना की संयुक्त बिजली उत्पादन क्षमता 550 मेगावाट हो जाएगी । दूसरे चरण की अनुमानित लागत 317 मिलियन अमेरिकी डॉलर है।

बीजीटीएफ एक इक्विटी निवेशक है और उसने परियोजना को निष्पादित करने के लिए एक विशेष प्रयोजन वाहन (एसपीवी) की स्थापना की है। बीजीएफटी होल्डिंग्स का 80 प्रतिशत स्वामित्व ब्रुकफील्ड एसेट मैनेजमेंट के पास है और 20% स्वामित्व ब्रुकफील्ड रिन्यूएबल के पास है। बीकानेर सौर परियोजना भारत के अंतरराज्यीय पारेषण प्रणाली के हरित ऊर्जा गलियारे खंड से जुड़ी हुई है। यह परियोजना दीर्घकालिक बिजली खरीद समझौतों के तहत वाणिज्यिक और औद्योगिक ग्राहकों को हरित ऊर्जा की आपूर्ति करेगी, और बिजली एक्सचेंजों के माध्यम से व्यापारी ऊर्जा बाजार में ऊर्जा भी बेचेगी। बीकानेर सौर परियोजनाओं से हर साल 804,408 टन कार्बन डाइऑक्साइड(ग्रीनहाउस-गैस) में कमी आने की उम्मीद है।

भारत में गैर जीवाश्म ईंधन विद्युत परियोजना के प्रति प्रतिबद्धता

भारत सरकार 2070 तक शुद्ध शून्य कार्बन उत्सर्जन हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सरकार ने 2030 तक अपनी गैर-जीवाश्म ईंधन आधारित बिजली उत्पादन क्षमता को 500 गीगा वाट तक बढ़ाने का लक्ष्य रखा है। कोयला, पेट्रोलियम तेल आदि जैसे जीवाश्म ईंधन कार्बन उत्सर्जन का एक प्रमुख कारण हैं जिसके कारण पृथ्वी के तापमान में सामान्य से अधिक बढ़ रहें हैं जो विश्व में ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार माने जाते हैं । जीवाश्म ईंधन की खपत और परिणामस्वरूप कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए दुनिया भर में सरकारें सौर, पवन, जल विद्युत परियोजना आदि जैसे ऊर्जा के गैर-जीवाश्म स्रोत को बढ़ावा दे रही है।