एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी ने शुक्रवार को वायुसेना के नए उप प्रमुख के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने एयर मार्शल एसपी धारकर का स्थान लिया है जो 30 अप्रैल को सेवानिवृत्त हो गए। वायुसेना उप प्रमुख का कार्यभार संभालने से पहले, एयर मार्शल तिवारी गांधीनगर स्थित दक्षिण पश्चिमी वायु कमान (एसडब्ल्यूएसी) के एयर आफिसर कमांडिंग-इन-चीफ (एओसी-इन-सी) के रूप में कार्यरत थे। वायुसेना ने एक्स पर पोस्ट कर यह जानकारी दी। तीन दशकों से अधिक की विशिष्ट सेवा के साथ, एयर मार्शल तिवारी एक अत्यंत सुसज्जित अधिकारी हैं। वे संचालन विशेषज्ञता, उड़ान परीक्षण की उत्कृष्ट योग्यता और रणनीतिक नेतृत्व के अनुभव के साथ वायु सेना को भविष्य की ओर मार्गदर्शित करने के लिए पूरी तरह सक्षम हैं।
क्यों चर्चा में?
एयर मार्शल नर्मदेश्वर तिवारी को भारतीय वायु सेना के नए वाइस चीफ ऑफ एयर स्टाफ के रूप में 2 मई 2025 को नियुक्त किया गया है। उनकी नियुक्ति वायु सेना द्वारा अनुभवी नेतृत्व, आधुनिकीकरण, और रणनीतिक क्षमता में वृद्धि को प्राथमिकता देने को दर्शाती है।
प्रमुख तथ्य
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नियुक्ति की तिथि: 2 मई 2025
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पद: वाइस चीफ ऑफ एयर स्टाफ, भारतीय वायु सेना
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सम्मान:
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परम विशिष्ट सेवा मेडल (PVSM) – 2025
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अति विशिष्ट सेवा मेडल (AVSM) – 2022
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वायु सेना मेडल (VM) – 2008
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उड़ान अनुभव: विभिन्न विमानों पर 3600 घंटे से अधिक
करियर और शिक्षा
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प्रारंभिक शिक्षा: राष्ट्रीय भारतीय सैन्य कॉलेज (RIMC), देहरादून
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प्रशिक्षण: राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA), खडकवासला – राष्ट्रपति स्वर्ण पदक विजेता (1985)
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कमीशन: 7 जून 1986 को वायु सेना में फाइटर पायलट के रूप में
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उच्च अध्ययन: एयर कमांड एंड स्टाफ कॉलेज, अमेरिका
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प्रशिक्षक अनुभव:
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वायु सेना टेस्ट पायलट स्कूल
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डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन
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प्रमुख योगदान
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कारगिल युद्ध (1999): ‘Litening’ लेजर डिज़िग्नेशन पॉड के संचालन में प्रमुख भूमिका
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LCA तेजस परीक्षण:
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2006–09 और 2018–19 के दौरान फाइनल ऑपरेशनल क्लीयरेंस (FOC) में अहम योगदान
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विदेशी दायित्व:
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एयर अटैशे, पेरिस (2013–2016) – अंतरराष्ट्रीय सैन्य संबंधों को मजबूत किया
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पिछला पद: दक्षिण पश्चिमी वायु कमान के एयर ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ़
महत्व
एयर मार्शल तिवारी की विशेषज्ञता विशेष रूप से स्वदेशी विमानों के परीक्षण, संचालनात्मक नेतृत्व और अंतरराष्ट्रीय संपर्कों में रही है। उनका नेतृत्व भारतीय वायु सेना में आधुनिकीकरण को गति देने, संचालन क्षमता बढ़ाने, और स्वदेशी रक्षा प्रणालियों को प्रोत्साहित करने में सहायक सिद्ध होगा।