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नीति आयोग ने “भारत में एमएसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने” पर रिपोर्ट जारी की

नीति आयोग ने इंस्टिट्यूट फॉर कॉम्पिटिटिवनेस (IFC) के सहयोग से “भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना” शीर्षक वाली एक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट भारत के MSME क्षेत्र का व्यापक विश्लेषण प्रस्तुत करती है, जिसमें प्रमुख चुनौतियों की पहचान की गई है और उनकी प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने के लिए एक सुव्यवस्थित सुधार योजना सुझाई गई है। रिपोर्ट में वित्तपोषण, नवाचार, कौशल विकास और बाज़ार तक पहुँच जैसे क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित किया गया है, ताकि MSMEs न केवल घरेलू बल्कि वैश्विक बाज़ारों में भी सफलतापूर्वक कार्य कर सकें।

क्यों चर्चा में है?

यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब भारत अपने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (MSMEs) को मजबूत करने की दिशा में प्रयास कर रहा है। MSMEs न केवल रोज़गार प्रदान करने में बल्कि GDP में योगदान के लिए भी महत्वपूर्ण हैं। इस क्षेत्र की चुनौतियों को दूर करना स्थायी आर्थिक विकास के लिए आवश्यक है। NITI आयोग की यह रिपोर्ट वित्तपोषण, कौशल विकास और तकनीकी अपनाने जैसे प्रमुख क्षेत्रों में संगठित सुधारों के माध्यम से MSMEs की क्षमता को सशक्त करने की दिशा में एक रोडमैप प्रस्तुत करती है।

उद्देश्य और लक्ष्य

इस रिपोर्ट का मुख्य उद्देश्य भारत के MSME क्षेत्र की प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाना है, जिसके लिए निम्नलिखित प्रमुख चुनौतियों को दूर करने की सिफारिश की गई है:

  • सीमित ऋण सुविधा

  • कुशल श्रम की कमी

  • तकनीक को अपनाने में बाधाएँ

  • बाज़ार में एकीकरण की कमी

रिपोर्ट MSMEs को वैश्विक मूल्य श्रृंखलाओं में बेहतर एकीकरण और आर्थिक वृद्धि में अधिक योगदान देने के लिए सक्षम बनाने हेतु कार्यान्वयन योग्य सुझाव प्रदान करती है।

प्रमुख निष्कर्ष और सिफारिशें

1. ऋण की उपलब्धता

  • सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए औपचारिक ऋण की पहुँच 2020 से 2024 के बीच 14% से बढ़कर 20% हुई है।

  • मध्यम उद्यमों के लिए यह आंकड़ा 4% से 9% हुआ है।

  • इसके बावजूद, MSMEs की कुल ऋण मांग का केवल 19% ही पूरा हो पा रहा है।

  • सिफारिश: CGTMSE (क्रेडिट गारंटी फंड ट्रस्ट) को सुदृढ़ कर समावेशी और मापनीय वित्तपोषण को सक्षम बनाना।

2. कौशल विकास

  • MSME कार्यबल में प्रशिक्षित श्रमिकों की भारी कमी है।

  • सिफारिश: R&D और नवाचार जैसे क्षेत्रों में प्रशिक्षण कार्यक्रम और क्षमता निर्माण को बढ़ावा देना।

3. तकनीकी अपनाना और नवाचार

  • MSMEs को आधुनिक तकनीक अपनाने में समस्याएं आती हैं, जैसे:

    • अनियमित बिजली आपूर्ति

    • कमजोर इंटरनेट कनेक्टिविटी

    • उच्च लागत

  • सिफारिश: राज्य सरकारें डिजिटल टूल्स और आधुनिक तकनीक तक पहुँच को बढ़ावा दें।

  • R&D और गुणवत्ता सुधार में निवेश की भी आवश्यकता।

4. बाज़ार पहुँच और वैश्विक प्रतिस्पर्धा

  • MSMEs की वैश्विक बाज़ारों तक पहुँच को बढ़ाने के लिए सिफारिशें:

    • डिजिटल मार्केटिंग का प्रशिक्षण

    • लॉजिस्टिक्स प्रदाताओं के साथ साझेदारी

    • प्रत्यक्ष बाज़ार संपर्क के लिए प्लेटफॉर्म बनाना

  • पूर्वोत्तर और पूर्वी भारत जैसे उच्च संभावनाओं वाले क्षेत्रों पर विशेष ध्यान।

नीति ढांचा

  • रिपोर्ट राज्य स्तर पर एक मजबूत, अनुकूलनशील और क्लस्टर आधारित नीति ढांचे की आवश्यकता पर बल देती है।

  • यह ढांचा MSMEs को नवाचार, प्रतिस्पर्धा और आर्थिक परिवर्तन में भागीदारी के लिए सशक्त करेगा।

नीति आयोग ने "भारत में एमएसएमई की प्रतिस्पर्धात्मकता बढ़ाने" पर रिपोर्ट जारी की |_3.1