भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने जनस्वास्थ्य नवाचार के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए स्वदेशी मलेरिया वैक्सीन ‘AdFalciVax’ के व्यवसायीकरण की प्रक्रिया शुरू की है। इस वैक्सीन का उद्देश्य मानवों में सबसे घातक मलेरिया परजीवी प्लाजमोडियम फेल्सीपेरम से लड़ना है। ICMR ने तकनीक हस्तांतरण और बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए दवा कंपनियों और विनिर्माताओं से साझेदारी हेतु “रुचि की अभिव्यक्ति” (Expression of Interest – EoI) आमंत्रित की है।
यह वैक्सीन ICMR-रीजनल मेडिकल रिसर्च सेंटर, भुवनेश्वर (ICMR-RMRCBB) द्वारा विकसित की जा रही है।
इसका लक्ष्य प्लाजमोडियम फेल्सीपेरम को निशाना बनाना है, जो गंभीर और घातक मलेरिया का प्रमुख कारण है।
यह समुदाय स्तर पर संक्रमण की श्रृंखला को भी तोड़ने में सहायक होगी।
यह एक रिकॉम्बिनेंट मल्टी-स्टेज वैक्सीन है, जो परजीवी के जीवनचक्र की विभिन्न अवस्थाओं पर कार्य करती है।
ICMR ने योग्य कंपनियों से EoI आमंत्रित की है ताकि वे तकनीक हस्तांतरण के जरिए उत्पादन कर सकें।
चयनित कंपनियों को विकास के प्रत्येक चरण में ICMR-RMRCBB द्वारा विशेषज्ञ मार्गदर्शन और तकनीकी सहायता प्रदान की जाएगी।
इस साझेदारी से वैक्सीन की उपलब्धता में तेजी आएगी और अनुसंधान से व्यावहारिक उपयोग के बीच की दूरी घटेगी।
वैक्सीन के पूर्ण विकास में कम से कम 7 वर्ष लगने का अनुमान है, जिसे 4 चरणों में विभाजित किया गया है।
प्रत्येक चरण में 6 माह का अतिरिक्त समय रखा गया है ताकि किसी भी अप्रत्याशित देरी का समाधान किया जा सके।
भारत में मलेरिया, विशेषकर प्लाजमोडियम फेल्सीपेरम, से प्रभावित क्षेत्रों की संख्या अधिक है, खासकर जनजातीय और पिछड़े इलाकों में। एक स्वदेशी रूप से विकसित वैक्सीन से न केवल इसकी उपलब्धता और वहनीयता बढ़ेगी, बल्कि भारत की वैश्विक आपूर्ति पर निर्भरता भी घटेगी। यह भारत के 2030 तक मलेरिया उन्मूलन के लक्ष्य को भी बल प्रदान करेगा।
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