एचएसबीसी, जो दुनिया के सबसे बड़े बैंकों में से एक है और नेट ज़ीरो बैंकिंग एलायंस (NZBA) का संस्थापक सदस्य रहा है, अब इस गठबंधन से बाहर निकलने वाला पहला ब्रिटिश बैंक बन गया है। यह गठबंधन 2050 तक ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को शून्य पर लाने के लिए वैश्विक बैंकिंग क्षेत्र की गतिविधियों को संरेखित करने के उद्देश्य से बना था। एचएसबीसी का यह निर्णय अमेरिका और कनाडा के कई बड़े बैंकों की हालिया वापसी के बाद आया है और इससे जलवायु कार्यकर्ताओं और निवेशकों के बीच बैंक की जलवायु संकट से निपटने की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता को लेकर चिंता बढ़ गई है।
पृष्ठभूमि
नेट ज़ीरो बैंकिंग एलायंस (NZBA) की शुरुआत 2021 में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम की फाइनेंस इनिशिएटिव के तहत हुई थी। इसका उद्देश्य बैंकों के लिए एक पारदर्शी वैश्विक ढांचा बनाना था, जिसके अंतर्गत वे उत्सर्जन को शून्य करने के लक्ष्य तय कर सकें और अपनी प्रगति की रिपोर्ट दे सकें। इस गठबंधन में 44 देशों के 144 से अधिक बैंक शामिल हुए, जिनमें HSBC एक प्रमुख संस्थापक सदस्य था। हाल ही में NZBA ने अपने नियमों को ढीला किया, जिससे अब सभी सदस्यों को वित्तपोषण को 1.5°C तापमान वृद्धि लक्ष्य के अनुरूप रखना अनिवार्य नहीं रहा — यह बदलाव अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव के बाद बढ़ते राजनीतिक और बाज़ार संबंधी दबाव के चलते किया गया।
महत्व
HSBC का यह कदम वैश्विक बैंकिंग समुदाय में सामूहिक जलवायु कार्रवाई के प्रति दृष्टिकोण में एक महत्वपूर्ण परिवर्तन का संकेत है। इससे पहले सभी प्रमुख अमेरिकी बैंक और कई कनाडाई तथा वैश्विक बैंकों ने कानूनी, राजनीतिक दबावों और व्यापारिक रणनीतियों में बदलाव के चलते NZBA से बाहर होने का फैसला लिया था। HSBC की वापसी से यह आशंका पैदा हो गई है कि जलवायु के क्षेत्र में वैश्विक वित्तीय सहयोग कमजोर पड़ सकता है और इससे अन्य ब्रिटिश व यूरोपीय बैंक भी अपनी सदस्यता और प्रतिबद्धताओं पर पुनर्विचार कर सकते हैं।
घोषित उद्देश्य
HSBC ने कहा है कि वह 2025 के अंत तक स्वतंत्र रूप से अपनी नेट ज़ीरो ट्रांज़िशन योजना को अद्यतन कर लागू करेगा। बैंक ने स्वीकार किया कि NZBA ने जलवायु कार्रवाई के लिए आरंभिक ढांचे बनाने में अहम भूमिका निभाई थी, लेकिन उसने यह भी दोहराया कि वह 2050 तक नेट ज़ीरो बैंक बनने की अपनी प्रतिबद्धता पर कायम रहेगा। HSBC ने यह भी स्पष्ट किया कि वह अपने ग्राहकों को उनके ट्रांज़िशन लक्ष्यों में सहयोग देने पर ध्यान देगा और उसके जलवायु लक्ष्य वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित रहेंगे।
मुख्य विशेषताएं और प्रतिक्रियाएं
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HSBC ने अपने मध्यावधि जलवायु लक्ष्यों को स्थगित कर दिया है और अपने परिचालन नेट ज़ीरो लक्ष्य की समयसीमा 2030 से बढ़ाकर 2050 कर दी है, जिसका कारण व्यापक अर्थव्यवस्था में धीमी प्रगति बताया गया।
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ShareAction जैसी एनजीओ और जिम्मेदार निवेश समूहों ने इस फैसले की तीखी आलोचना की है और इसे जलवायु नेतृत्व से पीछे हटना व जवाबदेही में गिरावट बताया है।
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कई हरित कंपनियों समेत HSBC के कुछ ग्राहक भी इस फैसले से असंतुष्ट हैं और अपने व्यावसायिक संबंधों पर पुनर्विचार कर रहे हैं।
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हालांकि HSBC ने NZBA से नाता तोड़ लिया है, वह अब भी ग्लासगो फाइनेंशियल एलायंस फॉर नेट ज़ीरो (GFANZ) का हिस्सा है, जो वैश्विक वित्तीय क्षेत्र में जलवायु कार्रवाई का समन्वय करता है।


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