
प्रतिष्ठित इतिहासकार, भारतीय इतिहास कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के ऐतिहासिक अध्ययन केंद्र में प्रोफेसर आर. चंपकलक्ष्मी के निधन के बाद अकादमिक समुदाय शोक में है। उनकी मृत्यु विद्वानों की दुनिया में, विशेषकर भारतीय इतिहास के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण क्षति है। सहकर्मी और छात्र उन्हें एक मार्गदर्शक शक्ति और एक बहु-विषयक विशेषज्ञ के रूप में याद करते हैं जिनका इतिहासलेखन में योगदान गहरा और व्यापक था।
प्रख्यात विद्वान एवं इतिहासकार
आर. चंपकलक्ष्मी का करियर पुरातत्व, प्रतिमा विज्ञान, विचारधारा, शासन कला और व्यापार जैसे विषयों में उनकी गहरी और विविध विशेषज्ञता से प्रतिष्ठित था। वह इतिहासलेखन में पारंपरिक और आधुनिक दृष्टिकोण के बीच की खाई को पाटने की क्षमता के लिए जानी जाती थीं, जिसने प्रारंभिक और मध्ययुगीन दक्षिण भारत की समझ में महत्वपूर्ण योगदान दिया।


मेटा इंडिया ने अमन जैन को सार्वजनिक नीति...
Year Ender 2025: भारत में प्रमुख संवैधान...
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने परमाणु ऊर्जा क्षे...

