केंद्रीय जीएसटी के क्षेत्रीय अधिकारियों ने वित्त वर्ष 2024-25 तक पिछले पांच वर्षों में लगभग 7.08 लाख करोड़ रुपये की कर चोरी का पता लगाया है, इसमें लगभग 1.79 लाख करोड़ रुपये की इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) की धोखाधड़ी भी शामिल है। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने लोकसभा में इससे जुड़े आंकड़े साझा किए। सरकार की ओर से दिए गए आंकड़ों के अनुसार अकेले वित्त वर्ष 2024-25 में, सीजीएसटी फील्ड अधिकारियों की ओर से 2.23 लाख करोड़ रुपये से अधिक की वस्तु व सेवा कर (जीएसटी) चोरी का पता लगाया गया है।
GST चोरी का बड़ा पैमाना
देश में अब तक ₹7 लाख करोड़ की GST चोरी का पता चला है, जिसमें 91,000 से अधिक मामले चिन्हित किए गए हैं। इनमें से करदाताओं द्वारा स्वेच्छा से ₹1.29 लाख करोड़ की राशि जमा की गई है। आंकड़ों से पता चलता है कि GST चोरी में तेज़ी से वृद्धि हुई है — FY21 में ₹49,300 करोड़ से बढ़कर FY25 में ₹2.23 लाख करोड़ तक। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा, लगभग ₹1.78 लाख करोड़, फर्जी इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) से जुड़ा है, जिसमें से केवल 7% राशि ही स्वेच्छा से चुकाई गई है।
चोरी में वृद्धि क्यों हो रही है?
GST चोरी के मामलों में वृद्धि के पीछे एक बड़ा कारण है डेटा संग्रहण और रिपोर्टिंग में आई मजबूती। अधिकारियों के अनुसार, बेहतर निगरानी उपकरण और जोखिम-आधारित ऑडिट के चलते फर्जीवाड़े की पहचान करना अब अधिक प्रभावी हो गया है।
कैसे हो रही है GST चोरी की पहचान?
केंद्र सरकार और GST नेटवर्क (GSTN) ने कई तकनीकी उपाय अपनाए हैं ताकि टैक्स चोरी को रोका जा सके —
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ई-इनवॉइसिंग, जिससे लेन-देन का डिजिटल रिकॉर्ड सुनिश्चित होता है
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स्वचालित जोखिम मूल्यांकन प्रणाली, जो संदिग्ध करदाताओं को चिन्हित करती है
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रिटर्न में विसंगतियों की पहचान करने वाली प्रणाली
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चेहरा पहचानने की तकनीक, जिससे फर्जी GSTIN की पहचान हो सके
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ई-वे बिल ट्रैकिंग, जिससे वस्तुओं की आवाजाही पर नजर रखी जा सके
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व्यवहार विश्लेषण उपकरण, जो करदाताओं की असामान्य गतिविधियों को पहचानते हैं
इन उपायों का उद्देश्य है राजस्व की सुरक्षा, अनुपालन में सुधार और जल्दी टैक्स चोरों की पहचान करना।
प्रभाव का मूल्यांकन करना क्यों चुनौतीपूर्ण है?
हालांकि इन उपायों से ज्यादा मामले सामने आए हैं, लेकिन अधिकारियों के अनुसार इनका सटीक असर मापना कठिन है। इसका कारण है कि वैश्विक आर्थिक हालात, घरेलू उपभोग और कर दरों में बदलाव जैसे अन्य कारक भी राजस्व संग्रहण और चोरी में भूमिका निभाते हैं।


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