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जुलाई में GST कलेक्शन 7.5% बढ़कर 1.96 लाख करोड़ रुपये हुआ

जुलाई 2025 में भारत का जीएसटी संग्रह ₹1.96 लाख करोड़ तक पहुँच गया, जो साल-दर-साल 7.5% की वृद्धि दर्शाता है। हालाँकि, शुद्ध वृद्धि दर घटकर केवल 1.7% रह गई, जिसका मुख्य कारण रिफंड में 117% की तीव्र वृद्धि है, जिससे घरेलू खपत की गति को लेकर चिंताएँ बढ़ गई हैं।

घरेलू नेट जीएसटी में दुर्लभ गिरावट दर्ज

देश की सकल घरेलू जीएसटी संग्रहण ₹1.43 लाख करोड़ रहा, जो पिछले वर्ष की तुलना में 6.7% की वृद्धि दर्शाता है। हालांकि, रिफंड को समायोजित करने के बाद नेट घरेलू जीएसटी राजस्व में कोविड-19 महामारी के बाद पहली बार गिरावट देखने को मिली।

इसके विपरीत, आयात पर जीएसटी संग्रहण में 9.7% की वृद्धि हुई, जबकि निर्यात रिफंड में 20% की बढ़ोतरी दर्ज की गई, जिससे नेट आयात जीएसटी में 7.5% की वृद्धि हुई।

धीमी घरेलू संग्रहण की संभावित वजहें

अर्थशास्त्रियों का मानना है कि घरेलू जीएसटी संग्रहण में कमी शहरी खपत में कमजोरी से जुड़ी हो सकती है।
एक प्रमुख कारण ऑटोमोबाइल बिक्री में कमी रहा, जो जीएसटी राजस्व का बड़ा हिस्सा है।
FADA के आंकड़ों के अनुसार, जून में खुदरा बिक्री में वर्ष-दर-वर्ष 4.84% की वृद्धि तो हुई, लेकिन महीने-दर-महीने आधार पर इसमें 9.44% की गिरावट दर्ज हुई, जो असमान मांग को दर्शाता है।

उल्टा शुल्क ढांचा का मुद्दा

रिफंड में तेज़ी का एक बड़ा कारण उल्टा शुल्क ढांचा है, जिसमें इनपुट पर जीएसटी दर तैयार माल की तुलना में अधिक होती है।
उदाहरण के लिए:

  • लिथियम-आयन बैटरी पर 18% जीएसटी लगता है,

  • जबकि इसके पुर्जों पर 28% कर लगाया जाता है,
    जिससे ज़्यादा रिफंड की आवश्यकता पड़ती है और पूरी प्रणाली की दक्षता प्रभावित होती है।

विशेषज्ञों का मानना है कि जीएसटी दरों का पुनर्गठन (rate rationalisation) जरूरी है, ताकि इस तरह की असमानताओं को सुधारा जा सके और अत्यधिक रिफंड दावों को रोका जा सके।

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