मानव और वन्यजीवों के बीच सतत सह-अस्तित्व की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन के लिए एक उत्कृष्टता केंद्र (Centre of Excellence – CoE) की स्थापना की घोषणा की है। यह केंद्र WII–SACON में स्थापित किया जाएगा और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) जैसी उन्नत तकनीकों का उपयोग कर संघर्ष की घटनाओं को कम करने के लिए जन-जागरूकता और त्वरित प्रतिक्रिया तंत्र को बढ़ावा देगा।
समाचार में क्यों?
यह घोषणा 21 जून 2025 को की गई, ऐसे समय में जब देश के कई राज्यों में बाघ और हाथियों के हमलों की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं, जिनमें सैकड़ों लोगों की जान जा चुकी है। यह नया केंद्र 2021 और 2022 में जारी दिशा-निर्देशों को आगे बढ़ाते हुए तकनीक, नीति और जन-सहभागिता के समन्वय से दीर्घकालिक समाधान विकसित करने का लक्ष्य रखता है।
उत्कृष्टता केंद्र (CoE) के उद्देश्य
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AI और अन्य तकनीकों के माध्यम से संघर्ष संभावित क्षेत्रों की भविष्यवाणी और प्रबंधन
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संघर्ष समाधान और प्रशिक्षण पर शोध
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राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों के साथ सहयोग, SOP लागू करना और त्वरित प्रतिक्रिया रणनीति तैयार करना
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जन-जागरूकता अभियान आयोजित कर समुदायों को संवेदनशील बनाना
सरकारी प्रयासों की पृष्ठभूमि
फरवरी 2021 की एडवाइजरी
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विभागों के बीच समन्वित कार्यवाही का आह्वान
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संघर्ष हॉटस्पॉट्स की पहचान पर बल
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त्वरित प्रतिक्रिया टीमों के गठन की सिफारिश
जून 2022 दिशा-निर्देश
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संघर्ष स्थिति से निपटने के लिए विस्तृत प्रोटोकॉल जारी
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जनभागीदारी और शिक्षा पर जोर
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राज्य/जिला-स्तरीय पैनल बने, जो पीड़ितों को मुआवज़ा और राहत सुनिश्चित करें
मानव-वन्यजीव संघर्ष से जुड़े आँकड़े
बाघ के हमले (मानव मृत्यु)
| वर्ष | मृत्यु संख्या |
|---|---|
| 2022 | 111 |
| 2023 | 86 |
| 2024 | 74 |
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महाराष्ट्र में 2024 की कुल मौतों में से 57%
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उत्तर प्रदेश में भी उच्च घटनाएं दर्ज
हाथी के हमले (2023–24)
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कुल मृत्यु: 628
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शीर्ष राज्य:
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ओडिशा: 154
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पश्चिम बंगाल: 99
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झारखंड: 87
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असम: 74
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घड़ियाल संरक्षण पहल
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केंद्रीय मंत्री ने घड़ियाल (Gavialis gangeticus) के बच्चों को उत्तर प्रदेश के कतर्नियाघाट में मुक्त किया।
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यह एक व्यापक परियोजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य:
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नदी पारिस्थितिकी तंत्र का पुनरुद्धार
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स्थानिक (in-situ) और बाह्य (ex-situ) संरक्षण मॉडल को मज़बूत करना
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यह कदम भारत में मानव और वन्यजीवों के बीच संतुलन और सह-अस्तित्व सुनिश्चित करने की दिशा में एक निर्णायक नीति पहल के रूप में देखा जा रहा है।


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