कोलकाता 30वें कोलकाता अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (केआईएफएफ) मनाने के लिए पूरी तरह से तैयार है। इस बार इसका आयोजन 4 दिसंबर से शुरू होगा और 11 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान 29 देशों के 175 फिल्में दिखाई जाएंगी। फ्रांस इस बार का मुख्य आकर्षक होगा। फ्रांस की फिल्मों पर खास ध्यान केंद्रित किया जा रहा है।
केआईएफएफ का लोगो और थीम गीत लॉन्च
30वें केआईएफएफ का लोगो और थीम गीत यहां रवींद्र सदन में राज्य मंत्री अरूप विश्वास, मंत्री और सह-प्रधान सलाहकार इंद्रनील सेन, केआईएफएफ सदस्य और महोत्सव के अध्यक्ष गौतम घोष ने जारी किया। मंत्री अरूप विश्वास ने बताया कि इस दौरान 127 फीचर फिल्में, 28 शॉर्ट और डॉक्यूमेंट्री फिल्में दिखाई जाएंगी। भारतीय भाषाओं की फिल्मों का एक चयन और बांग्ला पैनोरमा फिल्में शामिल होंगी, जो अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में भाग लेंगी। इस बार कुल 290 शो होंगे। यह महोत्सव कोलकाता के 20 विभिन्न स्थलों पर आयोजित होगा।
क्लासिक फ्रांसीसी फिल्मों का किया जाएगा प्रदर्शन
इस महोत्सव में समकालीन फ्रांसीसी महिला फिल्मकारों के लिए एक विशेष खंड समर्पित किया गया है। प्रमुख निर्देशकों जैसे कैरोलिन विग्नल, सेलीन रूज़ेट, और एलीस ओत्ज़नबर्गर अपनी नवीनतम कृतियां प्रस्तुत करेंगी। इसके साथ ही क्लासिक फ्रांसीसी फिल्मों का भी प्रदर्शन किया जाएगा।
30वें कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव 2024: सारांश
पहलू | विवरण |
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समाचार में क्यों? | फ्रांस को 30वें कोलकाता अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में प्रमुख स्थान मिलेगा। |
महोत्सव की तिथियां | 4 से 11 दिसंबर, 2024 |
फोकस देश | फ्रांस (समकालीन फ्रांसीसी महिला फिल्म निर्देशकों पर विशेष ध्यान) |
फिल्में | 175 फिल्में, 41 देशों से, जिसमें 127 फीचर फिल्में, 28 शॉर्ट्स और डॉक्यूमेंट्री शामिल। |
प्रमुख फिल्में | क्लासिक फ्रांसीसी फिल्में, भारतीय भाषाओं की फिल्में, बांगाली पैनोरमा फिल्में। |
प्रमुख वक्ता | विद्या बालन (संगीता दत्ता के साथ संवाद), आर बाल्की (सत्यजीत रे स्मृति व्याख्यान)। |
इंटरएक्टिव सत्र | फ्रांस की महिला फिल्म निर्देशकों और युवा फिल्म निर्माताओं पर विशेष ध्यान। |
महोत्सव स्थल | कोलकाता के 20 स्थानों पर महोत्सव आयोजित। |
कुल शो | 290 शो |
लोगो और थीम अनावरण | Aroop Biswas, Indranil Sen और Goutam Ghosh द्वारा किया गया। |
ममता बनर्जी का प्रभाव | मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में महोत्सव का विस्तार, पश्चिम बंगाल को सांस्कृतिक प्रवेश द्वार के रूप में स्थापित किया। |