पूर्व कानून मंत्री और वरिष्ठ वकील शांति भूषण का निधन हो गया। वह 97 साल के थे। शांति भूषण ने ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में काफी चर्चित मामले में राजनारायण का प्रतिनिधित्व किया था। 1974 में इंदिरा गांधी को प्रधानमंत्री के पद से हटने का आदेश दिया गया था। उन्होंने मोरारजी देसाई मंत्रालय में 1977 से 1979 तक भारत के कानून मंत्री के रूप में कार्य किया।शांति भूषण के बेटे जयंत और प्रशांत भूषण भी जाने-माने अधिवक्ता हैं। शांति भूषण हाल तक कानूनी पेशे में सक्रिय थे और शीर्ष अदालत में दायर उस जनहित याचिका पर बहस किया था, जिसमें राफेल लड़ाकू विमान सौदा मामले में अदालत की निगरानी में जांच कराने का अनुरोध किया गया था।
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पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण ने 2018 में सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर कर ‘मास्टर ऑफ रोस्टर’ सिस्टम में बदलाव की मांग की थी। याचिका में गुहार की गई थी कि रोस्टर के तहत मामलों को किसी पीठ के पास भेजने का सिद्धांत व प्रक्रिया तय की जानी चाहिए। शांति भूषण ने यह याचिका अपने बेटे व वकील प्रशांत भूषण के माध्यम से दायर की थी।
शांति भूषण कांग्रेस (ओ) पार्टी और बाद में जनता पार्टी के एक सक्रिय सदस्य थे। वे 14 जुलाई 1977 से दो अप्रैल 1980 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे। 1980 में वे भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए। 1986 में जब भारतीय जनता पार्टी ने एक चुनाव याचिका पर उनकी सलाह नहीं मानी, तो उन्होंने पार्टी से त्यागपत्र दे दिया। शांति भूषण और उनके बेटे प्रशांत भूषण अन्ना आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल थे।