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केरल के पूर्व मुख्यमंत्री वीएस अच्युतानंदन का निधन

केरल के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ मार्क्सवादी नेता अच्युतानंदन का निधन हो गया है। वह 101 के साल के थे। बता दें कि वेलिक्काकाथु शंकरन अच्युतानंदन को आम लोगों द्वारा प्यार से वीएस के नाम से जाना जाता था। वह जनता के अधिकारों के लिए अडिग प्रतिबद्धता और भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष के लिए जाने जाते थे। उन्होंने 2006 से 2011 तक केरल के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया और दशकों तक राज्य की राजनीतिक दिशा को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

पृष्ठभूमि

वेलिक्काकाथु शंकरन अच्युतानंदन, जिनका जन्म 1923 में केरल के आलप्पुझा में हुआ था, उन्होंने जीवन की शुरुआत में ही कई व्यक्तिगत कठिनाइयों का सामना किया—कम उम्र में माता-पिता को खो दिया और जीविका के लिए सिलाई और नारियल रेशा उद्योग में काम किया। उन्होंने राजनीतिक जीवन की शुरुआत ट्रेड यूनियन गतिविधियों से की और जल्द ही केरल में कम्युनिस्ट आंदोलन के प्रमुख चेहरों में शामिल हो गए।

राजनीतिक जीवन और महत्व

वी.एस. अच्युतानंदन 1964 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी से अलग होकर सीपीआई(एम) बनाने वाले 32 नेताओं में शामिल थे। जनसमर्थन और प्रभावशाली भाषणों के लिए पहचाने जाने वाले वी.एस. वामपंथी विचारधारा, कृषि सुधारों और भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलनों के प्रतीक बन गए। 90 वर्ष की उम्र में भी वे पार्टी के लिए सक्रिय रूप से प्रचार करते रहे और विशेषकर युवाओं में बेहद लोकप्रिय रहे।

मुख्यमंत्री कार्यकाल (2006–2011)

83 वर्ष की उम्र में वी.एस. केरल के मुख्यमंत्री बने, जहां उन्होंने भूमि सुधार, अतिक्रमण विरोधी अभियान और पारदर्शिता को प्राथमिकता दी। उनका कार्यकाल किसानों के कल्याण, सार्वजनिक भूमि की रक्षा और भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख के लिए याद किया जाता है। उन्होंने पर्यावरण संरक्षण में भी सक्रिय भूमिका निभाई।

विरासत और प्रभाव

वी.एस. अच्युतानंदन जीवन भर जननेता बने रहे, जिन्हें राजनीतिक सीमाओं से परे भी सम्मान मिला। उनकी विरासत में भूमिहीन किसानों के लिए संघर्ष, कॉर्पोरेट अतिक्रमण के खिलाफ डटकर खड़ा होना, और सिद्धांतवादी राजनीति को बढ़ावा देना शामिल है। उनकी सादगी और समर्पण ने उन्हें केरल की राजनीतिक इतिहास में एक आदरनीय प्रतीक बना दिया।

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