देश के सबसे बड़े लौह अयस्क उत्पादक एनएमडीसी लिमिटेड ने आईआईटी खड़गपुर के साथ ड्रोन आधारित खनिज अनुसंधान के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं। राष्ट्रीय खनन और विकास निगम (National Mining and Development Corporation – NMDC) तकनीकी नवाचार और इसके अन्वेषण और खनन डेटाबेस के डिजिटलीकरण पर तेजी से निर्भर है। सरकार ने भारत में ड्रोन के उपयोग और संचालन को विनियमित करने और निगरानी करने के लिए पहला कदम उठाया है, जो अब कृषि, शहरी नियोजन, वानिकी, खनन, आपदा प्रबंधन, निगरानी और परिवहन, अन्य उद्योगों में कार्यरत हैं।
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प्रमुख बिंदु:
- NMDC और IIT खड़गपुर ड्रोन खनन अन्वेषण के लिए स्पेक्ट्रम उत्पाद, कार्यप्रणाली और एल्गोरिदम बनाने के लिए सहयोग करेंगे।
- सहयोग से खनिज उत्खनन और खनन प्रौद्योगिकी क्षमता-निर्माण कार्यक्रमों के लिए सॉफ्टवेयर स्पेक्ट्रल टूल का विकास भी होगा।
- टोह G4 स्तर से लेकर UNFC के विस्तृत G1 स्तर तक, NMDC तांबे, रॉक फॉस्फेट, चूना पत्थर, मैग्नेसाइट, हीरा, टंगस्टन, और समुद्र तट की रेत जैसे विभिन्न खनिजों के लिए छह दशकों से अधिक समय से खनिजों की खोज कर रहा है।
- भारत में पहली बार एनएमडीसी द्वारा खनिज अन्वेषण के लिए ड्रोन आधारित भूभौतिकीय सर्वेक्षण और हाइपरस्पेक्ट्रल अध्ययन किया जाएगा।
- एनएमडीसी के सीएमडी सुमित देब ने कहा, “आईआईटी-खड़गपुर के साथ एनएमडीसी का सहयोग देश के लिए खनिज खोज में एक नए युग की शुरुआत करेगा।”
- एनएमडीसी मध्य प्रदेश में विभिन्न खनिजों के साथ-साथ छत्तीसगढ़ के बेलौदा-बेलमुंडी ब्लॉक में हीरे की खोज कर रहा है। यह मध्य भारतीय हीरा प्रांत में अंतरिक्ष भूभौतिकी का उपयोग करने वाला पहला सीपीएसई है, साथ ही भुवन प्लेटफॉर्म पर डेटा अन्वेषण की ऑनलाइन निगरानी का उपयोग करने वाला पहला है।
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