‘फ़िट इंडिया साइकिल संडे’ पहल अब केवल एक फिटनेस कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक राष्ट्रीय जन आंदोलन बन चुकी है, जिसका उद्देश्य शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के साथ-साथ युवाओं में नशामुक्ति और सशक्तिकरण जैसे सामाजिक संदेशों को भी मज़बूती से फैलाना है। युवा मामले और खेल मंत्रालय द्वारा संचालित इस पहल का 32वां संस्करण वाराणसी स्थित बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) परिसर में आयोजित हुआ, जिसमें केंद्रीय मंत्री मनसुख मांडविया समेत 3,000 से अधिक साइकिल चालकों ने भाग लिया। इस अभियान ने शैक्षणिक संस्थानों और स्थानीय निकायों के सहयोग से यह संदेश फैलाया कि “स्वस्थ शरीर से ही स्वस्थ मस्तिष्क बनता है”, जो विकसित भारत की दिशा में सहायक है।
पृष्ठभूमि
‘फ़िट इंडिया साइकिल संडे’ कार्यक्रम, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 2019 में शुरू किए गए ‘फ़िट इंडिया मूवमेंट’ का हिस्सा है। यह एक भागीदारी आधारित आंदोलन है जिसमें नागरिक हर रविवार को साइकिलिंग, योग और खेलों जैसी गतिविधियों में भाग लेकर शारीरिक रूप से सक्रिय रहने के लिए प्रेरित होते हैं। समय के साथ, इस पहल में नशा-उन्मूलन और पर्यावरणीय जागरूकता जैसे आयाम भी जुड़ गए हैं, जिससे यह एक सशक्त जन आंदोलन बन गया है।
महत्व
यह पहल विभिन्न स्तरों पर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है:
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सार्वजनिक स्वास्थ्य: निष्क्रिय जीवनशैली और बढ़ती गैर-संक्रामक बीमारियों से लड़ने के लिए सक्रिय जीवनशैली को प्रोत्साहित करती है।
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सामाजिक जागरूकता: ‘नशा मुक्त युवा – विकसित भारत’ जैसे अभियानों के माध्यम से युवाओं में नशे के खिलाफ जागरूकता फैलाती है।
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युवा सशक्तिकरण: छात्रों और युवाओं के लिए फिटनेस और सामाजिक सकारात्मकता का मंच प्रदान करती है।
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राष्ट्रीय एकता: 6,000 से अधिक स्थानों पर आयोजित इस कार्यक्रम से देशभर की विविध संस्कृतियां एक उद्देश्य के तहत एकत्रित होती हैं।
उद्देश्य
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नियमित साइकिलिंग और अन्य शारीरिक गतिविधियों के ज़रिए शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देना।
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स्कूली छात्रों और युवाओं को सकारात्मक, स्वस्थ गतिविधियों में जोड़ना।
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नशा-मुक्त जीवनशैली और सामाजिक चेतना को प्रसारित करना।
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सामूहिक जिम्मेदारी के साथ एक स्वस्थ और विकसित भारत के निर्माण में योगदान देना।
मुख्य विशेषताएं
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जन भागीदारी: लाखों नागरिक स्कूलों, कॉलेजों और स्थानीय समुदायों से जुड़ते हैं।
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बहु-गतिविधि ढांचा: साइकिलिंग के साथ-साथ योग, ज़ुम्बा, रस्सी कूद, कैरम और शतरंज जैसे खेल शामिल होते हैं।
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सेलिब्रिटी प्रोत्साहन: राष्ट्रीय खिलाड़ी जैसे एसो अल्बेन की मौजूदगी से प्रतिभागियों को प्रेरणा मिलती है।
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संस्थागत सहयोग: सीबीएसई, केवीएस, सीआईएससीई, डीएवी, साई और राहगीरी फाउंडेशन जैसे संगठनों का सहयोग।
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पर्यावरण-अनुकूल मार्ग: BHU परिसर जैसे शांत और ट्रैफिक-मुक्त रास्तों पर साइकिलिंग, जिससे पर्यावरण जागरूकता को बल मिलता है।
यह अभियान न केवल एक स्वस्थ जीवनशैली का प्रतीक है, बल्कि यह विकसित भारत के निर्माण में समाज को सक्रिय भागीदार भी बनाता है।


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