ओडिशा में 15वें हॉकी विश्व कप में मुकाबलों की शुरुआत शुक्रवार (13 जनवरी) से होगी। टूर्नामेंट का उद्घाटन समारोह 11 जनवरी को कटक में आयोजित हुआ था। 17 दिन तक चलने वाले इस टूर्नामेंट में 16 टीमें हिस्सा लेंगी। मुकाबले भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम और राउरकेला के बिरसा मुंडा अंतरराष्ट्रीय स्टेडियम में खेले जाएंगे। भुवनेश्वर 24 और राउरकेला 20 मैचों की मेजबानी करेगा। 29 जनवरी को फाइनल मुकाबला खेला जाएगा।
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16 टीमों को चार-चार के 4 ग्रुप में बांटा गया है। भारतीय टीम आज स्पेन के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत करेगी। टीम इंडिया अपनी मेजबानी में हो रहे टूर्नामेंट में 48 साल बाद पदक जीतने का लक्ष्य लेकर उतरेगी। अगर वह इस बार पदक जीतने में सफल रहती है तो आठ बार की ओलंपिक चैंपियन टीम का फिर से विश्व हॉकी में दबदबा बनने की संभावना मजबूत होगी। भारत ने अब तक तीन पदक जीते हैं। एक पदक शुरुआती संस्करण 1971 में जीता था। दूसरा पदक 1973 में जीता था। अजित पाल सिंह के नेतृत्व में 1975 में भारतीय टीम चैंपियन बनी थी।
1975 के बाद से भारतीय टीम हॉकी विश्व कप में अपने रुतबे के मुताबिक प्रदर्शन नहीं कर सकी। यहां तक कि सेमीफाइनल में भी प्रवेश नहीं कर सकी। वर्ष 1978 से 2014 तक तो टीम ग्रुप दौर से आगे नहीं बढ़ सकी। इस बार 16 टीमों के बीच कुल 44 मुकाबले खेले जाएंगे। 24 मैच कलिंगा स्टेडियम भुवनेश्वर में और 20 मैच बिरसा मुंडा स्टेडियम राउरकेला में आयोजित होंगे।
हॉकी विश्वकप में सबसे ज्यादा 10 पदक (तीन स्वर्ण, दो रजत और पांच कांस्य) ऑस्ट्रेलिया ने जीता है, जबकि नीदरलैंड ने नौ पदक (तीन स्वर्ण, चार रजत और दो कांस्य) जीते हैं। नीदरलैंड ने विश्वकप में सबसे ज्यादा 100 मैच खेले हैं, इनमें 61 में जीत दर्ज की है। ऑस्ट्रेलिया ने विश्वकप में सबसे ज्यादा 69 मैच जीते हैं, जबकि 92 खेले हैं। ऑस्ट्रेलिया ने सबसे ज्यादा 305 गोल किए हैं हॉकी विश्वकप में। नीदरलैंड (267) दूसरे और पाकिस्तान (235) तीसरे नंबर पर हैं।