डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट (DRDO) के अध्यक्ष जी. सतेश रेड्डी ने हैवी वेट टॉरपीडो (HWT), वरुणास्त्र की पहली उत्पादन इकाई को मंजूरी दे दी। वरुणास्त्र को DRDO के नौसेना विज्ञान और तकनीकी प्रयोगशाला (NSTL) द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है, जबकि भारत डायनेमिक्स लिमिटेड (BDL), विशाखापट्टनम ने भारतीय नौसेना के लिए टारपीडो का निर्माण किया है।
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वरुणास्त्र के बारे में:
- वरुणास्त्र एक जहाज से लॉन्च किया जाने वाला, विद्युत रूप से प्रोपेल्ड एंटी-सबमरीन हैवीवेट टॉरपीडो है। यह उन जहाजों से लॉन्च किया जा सकता है जो गहरे और उथले पानी में किसी भी सबमरीन पर ऊपर या नीचे दोनों तरफ से हमला कर सकता है।।
- यह एक इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन सिस्टम द्वारा संचालित होता है जिसमें कई 250 किलोवाट सिल्वर ऑक्साइड जिंक (एगोज़ेन) बैटरी होती है।
- लगभग पूरी तरह स्वदेशी रूप से निर्मित (95%) टारपीडो ‘वरुणास्त्र’ 74 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हमला करता है, और एक टन से अधिक वजनी वरुणास्त्र अपने साथ 250 किलो तक का वॉरहेड ले जा सकता है।
- हैवीवेट टॉरपीडो को एक्सपोर्ट के लिए भी पेश किया गया है।