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DRDO ने हिमालयी क्षेत्रों में अभियान के लिए विकसित किया मानवरहित यान

DRDO ने हिमालयी क्षेत्रों में अभियान के लिए विकसित किया मानवरहित यान |_3.1

हिमालयी सीमा पर साजो-सामान संबंधी परिचालन को लक्षित करते हुए अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने एक ऐसा मानवरहित यान विकसित किया है जो पांच किलोग्राम तक सामान ले जाने तथा दुश्मन क्षेत्र में बम गिराने में भी सक्षम है। एक अधिकारी ने यह जानकारी दी। महाराष्ट्र के नागपुर में 108वीं भारतीय विज्ञान कांग्रेस में डीआरडीओ ने इसे प्रदर्शित किया। सिक्किम में 14000 फुट की ऊंचाई पर इसके सफल परीक्षण किये जा चुके हैं। डीआरडीओ के अधिकारी महेश साहू ने बताया कि शेष बचे दो परीक्षण पूरे करने के बाद यह उत्पाद सशस्त्र बलों को सौंपे जाने के लिए तैयार होगा।

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उन्होंने कहा कि डीआरडीओ ने पांच किलोग्राम से 25 किलोग्राम तक सामान ले जाने में सक्षम यह मानवरहित यान विकसित किया है और यह क्षमता को 30 किलोग्राम तक बढ़ाने की दिशा में काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि वह पांच किलोमीटर के दायरे में स्वायत्त मिशन संचालित कर सकता है और स्वचालित तरीके से निर्धारित स्थान पर सामान पहुंचा कर मूल स्थान पर लौट सकता है। उन्होंने कहा कि उसका उपयोग शत्रु स्थल पर बम गिराने में भी उपयोग किया जा सकता है।

 

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन के बारे में

 

रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय में रक्षा अनुसंधान और विकास विभाग के तहत प्रमुख एजेंसी है। इसका गठन 1958 में रक्षा विज्ञान संगठन के साथ तकनीकी विकास प्रतिष्ठान और भारतीय आयुध कारखानों के तकनीकी विकास और उत्पादन निदेशालय के विलय से हुआ था। रक्षा अनुसंधान और विकास सेवा (DRDS) की स्थापना 1979 में रक्षा मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत ग्रुप ए अधिकारियों की एक सेवा के रूप में की गई थी।

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