भारत ने एक प्रतिष्ठित शिक्षाविद और समाज सुधारक को खो दिया है। मनोनमनियम सुंदरनार विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति डॉ. वी. वसंती देवी का 1 अगस्त, 2025 को वेलाचेरी स्थित उनके आवास पर हृदय गति रुकने से निधन हो गया। वह 86 वर्ष की थीं। उनके निधन को शिक्षा, लैंगिक समानता, मानवाधिकार और प्रगतिशील आंदोलनों के क्षेत्र में एक बड़ी क्षति के रूप में देखा जा रहा है।
प्रारंभिक जीवन और शैक्षणिक यात्रा
डॉ. वसंती देवी का जन्म 1938 में डिंडीगुल में हुआ था। उन्होंने अपनी उच्च शिक्षा प्रेसिडेंसी कॉलेज से प्राप्त की और 1970 के दशक में पीएचडी पूरी करने के लिए फिलीपींस गईं। अपने संपूर्ण करियर के दौरान वे एक प्रगतिशील शिक्षाविद् के रूप में जानी गईं, जिन्होंने शिक्षा सुधारों और समान अवसरों की पुरज़ोर वकालत की।
शिक्षा में नेतृत्वकारी भूमिकाएं
डॉ. वसंती देवी 1992 से 1998 तक मनोनमणियम सुंदरणार विश्वविद्यालय की दूसरी कुलपति रहीं, जहाँ उन्होंने उच्च शिक्षा तक पहुँच का विस्तार करने पर ज़ोर दिया। इसके बाद वे 2002 से 2005 तक तमिलनाडु राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रहीं, जहाँ उन्होंने महिलाओं के अधिकारों और सुरक्षा से जुड़े प्रमुख मुद्दों को उठाया। 1987 में उन्होंने तमिलनाडु में शिक्षकों के आंदोलन का नेतृत्व भी किया, जिससे शिक्षकों के अधिकारों की रक्षा और शिक्षक समुदाय को मज़बूती देने की आवश्यकता को रेखांकित किया।
राजनीतिक प्रवेश और सक्रियता
76 वर्ष की आयु में डॉ. देवी ने राजनीति में कदम रखा और 2016 में आर.के. नगर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा। वे पीपुल्स वेलफेयर एलायंस के अंतर्गत विदुथलाई चिरुथैगल काची (VCK) की उम्मीदवार थीं और तत्कालीन मुख्यमंत्री जे. जयललिता के खिलाफ सीधे चुनावी मुकाबले में उतरीं। भले ही उन्हें केवल 2.4% वोट मिले, लेकिन उनके साहसी प्रयास ने व्यापक ध्यान और सम्मान प्राप्त किया। वे राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP) की मुखर आलोचक रहीं। उन्होंने शिक्षा के केंद्रीकरण का विरोध किया और इसे संविधान की राज्य सूची में पुनः शामिल किए जाने की पुरज़ोर मांग की। उनका जीवन शिक्षा, समानता और सामाजिक न्याय के लिए एक सतत संघर्ष की प्रेरक कहानी रहा है।


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