दिल्ली कैबिनेट ने “दिल्ली स्टार्टअप नीति (Delhi Startup Policy)” को मंजूरी दे दी है। इस नीति का उद्देश्य लोगों को स्टार्टअप शुरू करने और उन्हें वित्तीय और गैर-वित्तीय प्रोत्साहन, संपार्श्विक-मुक्त ऋण (collateral-free loans) तथा विशेषज्ञों, वकीलों और सीए से मुफ्त परामर्श प्रदान करने के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है। स्टार्टअप नीति की निगरानी के लिए 20 सदस्यीय टास्क फोर्स का गठन किया जाएगा। इस कमेटी की अध्यक्षता दिल्ली के वित्त मंत्री करेंगे। इस नीति का लक्ष्य वर्ष 2030 तक 15,000 स्टार्टअप को प्रोत्साहित, सुविधा और समर्थन देना है।
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दिल्ली सरकार स्टार्टअप के ऑफिस लीज या पिच के किराए का 50% तक भुगतान करेगी ताकि स्टार्टअप कम्पनियां अपने कर्मचारियों को सैलेरी के भुगतान समस्या कम हो। सरकार उन्हें पेटेंट, कॉपीराइट और ट्रेडमार्क के लिए आवेदन करने पर होने वाली लागत की प्रतिपूर्ति भी करेगी।
निगरानी समिति (Monitoring committee)
स्टार्टअप नीति की निगरानी के लिए सरकार एक निगरानी समिति बनाएगी। इस कमेटी की अध्यक्षता दिल्ली के वित्त मंत्री करेंगे। इस समिति के गठन में निज़ी क्षेत्र के 85% प्रतिनिधि, शिक्षण संस्थानों से 10% और सरकार से 5% प्रतिनिधि होंगे।
प्रतिभा को आकर्षित करना (Attracting talent)
नीति नौवीं-बारहवीं कक्षा में छात्रों को उद्यमिता सिखाने और उन्हें बिजनेस ब्लास्टर्स प्रोग्राम के तहत प्रारंभिक पूँजी (seed capital) देकर युवाओं पर भी ध्यान केंद्रित करेगी।
कॉलेज स्तर पर भी इस पहल को दोहराया जाएगा। स्टार्टअप्स पर काम करने वाले छात्र दिल्ली सरकार के कॉलेजों में पढ़ते हुए अपना कारोबार खड़ा करने के लिए दो साल तक की छुट्टी ले सकेंगे।